How to change your mindset to positive | अपनी मानसिकता को सकारात्मक में कैसे बदलें?

How to change your mindset to positive | अपनी मानसिकता को सकारात्मक में कैसे बदलें?

How to change your mindset to positive | अपनी मानसिकता को सकारात्मक में कैसे बदलें?

क्या कभी आपको ऐसा लगा है कि आपका जीवन आपके नियंत्रण से बाहर हो गया है? या पहले की अपेक्षा दिन – प्रतिदिन बद्तर होता जा रहा है। कैरियर, पारिवारिक और सामाजिक जीवन में भी विशेष उन्नति नहीं हो रही है। तो यहां आपकी मानसिकता को बदलने की आवश्यकता है। हम इस लेख (How to change your mindset to positive | अपनी मानसिकता को सकारात्मक में कैसे बदलें?) में सकारात्मक मानसिकता के बारे में पढ़ेंगे। जीवन में खुश और सफल होने के लिए आपकी सकारात्मक मानसिकता का होना आवश्यक है।

जब भी आप किसी कार्य में असफल होते हैं तो कैसा महसूस करते हैं? क्या जीवन में हर चुनौती से घबरा जाते हैं या फिर उसे अपॉर्चुनिटी के रूप में देखते हैं? आपकी मानसिकता सकारात्मक है या नकारात्मक ये उस चैलेंज को सामना करने का नजरिया ही दर्शाता है। यदि आप सकारात्मक नजरिए से सोचते हैं तो आप उस चैलेंज का समाधान निकाल लेंगे। और यदि आप के अंदर नेगेटिविटी है तो आप उस चुनौती के सामने टूट जाओगे। 

आपकी सोच, आपकी जिंदगी के हर पहलू को प्रभावित करती है। ये आपके चुनौतियों का सामना करने की योग्यता और आपके जीने के तरीकों को प्रभावित करती हैं। इस दुनिया में हर इंसान एक – दूसरे से भिन्न है। बेशक हमारी शक्ल और सूरत एक दूसरे से मैच हो जाएं लेकिन फिर भी हम एक– दूसरे से अलग हैं। मानसिकता क्या है और कितने प्रकार की होती है? इसको नकारात्मक से सकारात्मक में कैसे बदल सकते हैं? इसके बारे में हम और विस्तार से जानेंगे।

What is mindset | मानसिकता क्या है?

मानसिकता आपके आस – पास की दुनिया के मूल्यों, विश्वासों और दृष्टिकोण का समूह है। आप दुनिया को कैसे देखते हैं इसे आपका विश्वास ही आकार देता है। आप कैसे सोचते हैं, और जो भी कार्य है उसे कैसे करते हैं? ये आपकी मानसिकता को दर्शाता है। मानसिकता को दो भागों में बांटा गया है –

1. Fixed mindset (निश्चित या तय मानसिकता)

2. Growth mindset (बढ़ती हुई या विकास की मानसिकता)

  • Fixed mindset | फिक्स्ड माइंडसेट

फिक्स्ड माइंडसेट वाले लोग किसी भी कार्य को करने की जिम्मेदारी नहीं लेते हैं। ये दूसरों को दोष देने और बहाने बनाने वाले होते हैं। इन लोगों को एकांत में रहना और आराम पसंद होता है। ये खुद को साबित करने में लगे रहते हैं। अगर वो किसी कार्य में एक बार फेल हो गए तो वे समझ लेते हैं कि इसमें मेहनत करने से कोई फायदा नहीं है। 

इन लोगों में नकारात्मकता की बहुतादाद होती है। फिक्स्ड माइंडसेट खतरनाक हो सकता है क्योंकि ये विकास को रोकता है। फिक्स्ड माइंडसेट के साथ हमारे जीवन में किसी भी दिशा में बदलाव के लिए बहुत कम या बिल्कुल भी जगह नहीं होती है। निश्चित मानसिकता वाले लोग अक्सर यही सोचते हैं कि शारीरिक क्षमताएं, बुद्धि और प्रतिभा आपके जीवनकाल में अपेक्षाकृत स्थिर है।

निश्चित मानसिकता के साथ जीने वाले लोगों का ये मानना है। “जिस प्रतिभा के साथ हम पैदा हुए हैं वह बिना किसी प्रयास के सफलता का सृजन करती है।” नई आदतें और लाइफ स्टाइल में परिवर्तन हमारी मानसिकता को सूचित करते हैं। स्वस्थ्य आदतें और नई मानसिकता को अपनाकर फिक्स्ड माइंडसेट को ग्रोथ माइंडसेट में बदला जा सकता है। 

How to change your mindset to positive | अपनी मानसिकता को सकारात्मक में कैसे बदलें?

  • Growth mindset | ग्रोथ माइंडसेट 

ग्रोथ माइंडसेट वाले लोगों का मानना है कि आपकी बुद्धि, प्रतिभा और सारी क्षमताओं को विकसित किया जा सकता है। इनमें से कुछ भी निश्चित नहीं है। इस मानसिकता वाले लोग लगातार प्रयास करके धैर्य के साथ खुद को अधिक बुद्धिमान और प्रतिभाशाली बना सकते हैं। सकारात्मक मानसिक दृष्टिकोण आपको अपने सुविधा क्षेत्र से बाहर कदम रखने और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने की अनुमति देता है।

विकास की मानसिकता के साथ आप किसी भी कार्य का सामना अच्छे तरीके से कर पाएंगे। इसके साथ आप बेहतर प्रतिक्रिया प्राप्त कर पाएंगे जो लंबे समय तक सक्षम रहेगी। ग्रोथ माइंडसेट आपके आत्म सम्मान और सीखने के दृष्टिकोण को बेहतर बनाने में मदद करेगा। इससे आप फेलियर का सामना धैर्य के साथ कर पाएंगे।

Growth mindset हमें सिखाता है कि असफलता वास्तव में एक अस्थाई चीज है जिसे लगातार प्रयास करके हराया जा सकता है। किसी स्पेशल मिशन का सदस्य अपने पहले ही प्रयास में सफल नहीं होता है। उसे लगातार और जीतोड़ मेहनत करनी पड़ती है। कोई भी डॉक्टर या फिर खिलाड़ी अपने क्षेत्र विशेष में कठिन परिश्रम और अभ्यास से ही निपुण हो पाता है।

किसी भी क्षेत्र में महारत हासिल करने का सही मार्ग है उस ज्ञान विशेष को बनाए रखना जो दृष्टिकोण और प्रयास को लागू करता है। “किसी भी अंतिम परिणाम या उपलब्धि को प्रशंशित करने के बजाय उस उपलब्धि को हासिल करने के लिए किए गए प्रयास को पुरस्कृत करना चाहिए। “ सफल लोग सकारात्मक मानसिक नजरिया पर भरोसा करते हैं जिससे मानसिक स्वास्थ्य और आत्म सुधार को प्राथमिकता मिलती है।

How to change your mindset to positive | अपनी मानसिकता को सकारात्मक में कैसे बदलें?

How to change your mindset to positive | अपनी मानसिकता को सकारात्मक में कैसे बदलें?

5 tips to change your mindset to positive | अपनी मानसिकता को सकारात्मक में बदलने के पांच नियम।

यहां कुछ नियम दिए गए हैं जिन्हें अपने जीवन में अपनाकर नकारात्मक मानसिकता को सकारात्मक में बदल सकते हैं।

1. Accept the change | परिवर्तन को स्वीकार करें। 

प्रत्येक विचार का एक जीवन और विकास होता है। परिवर्तन उसी विकासवादी चक्र का प्राकृतिक और आवश्यक हिस्सा है। परिवर्तन सृष्टि का नियम है। इसे हमें अपने सामाजिक जीवन, व्यवसायिक जीवन और सबसे पहले व्यक्तिगत जीवन में स्वीकार करना होगा। इस बात को हमें जितना जल्दी हो समझ लेना चाहिए कि समय बहुत अमूल्य है और जीवन बहुत छोटा है।

इसे भी पढ़ें:– समय प्रबंधन | time management 

परिवर्तन लॉजिकली जटिल हो सकता है। और यदि इसे आप अपनाते हैं तो आप दूसरी तरफ पहले से अधिक स्वस्थ्य और मजबूत हो सकते हैं। सत्य बात तो यह है कि यह आपके बिना भी होगा और आपके साथ भी। आप अपनी परिस्थितियों को जितना स्वीकारते हैं आपकी मानसिकता उतनी ही अधिक निखरती है। आप अपने दिमाग को चीजों के सकारात्मक पहलू को देखने के लिए अभ्यास कर सकते हैं।

2. Meditation | ध्यान लगाएं।

ध्यान हमें प्राचीन काल से ही ऋषि– मुनियों द्वारा मिली हुई धरोहर है। Meditation हमें और भी कई प्रकार के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी प्रदान करता है। ध्यान के अभ्यास से हमारी मानसिकता पर काम किया जा सकता है क्योंकि यह एक मांसपेशी है। जितनी अच्छी हमारी मानसिकता होगी हमारा जीवन भी उतना ही बेहतर होगा। 

इसे भी पढ़ें:– ध्यान कैसे करें | how to do meditation 

जैसा कि ऊपर बताया गया है मानसिकता एक मांसपेशी है जिसे प्रशिक्षित किया जा सकता है। जीवन के स्वास्थ्य लाभों और मानसिक बेहतरी के लिए ध्यान एक बेहतर गुणक है। प्रतिदिन दस मिनट के अभ्यास के साथ हमें अपने जीवन को समृद्ध बनाने के लिए ध्यान की शुरुआत करनी चाहिए। यह तनाव और अवसाद को दूर करने के साथ हमारे दिमाग की अव्यवस्था को भी दूर करता है। 

3. Start small to do big things | बड़ा काम करने के लिए छोटे से शुरुआत करें।

अगर आपको माउंट एवरेस्ट चढ़ना है तो पहले छोटे– छोटे पत्थर और पहाड़ों से शुरुआत करनी पड़ेगी। एक कहावत भी है कि ताजमहल एक दिन में नहीं बनता। १०० की शुरुआत भी १ से ही होती है। इसी प्रकार आपके जीवन के जो लक्ष्य हैं जिन्हें आप पाना चाहते हैं वो एक दिन में पूरे नहीं होंगे। उसके लिए दिन – प्रतिदिन छोटे– छोटे कदम उठाने पड़ेंगे।

मानलो आपका बड़ा लक्ष्य दैनिक व्यायाम करना है तो आपका छोटा लक्ष्य प्रतिदिन एक पुशअप मारना है। यदि आप अपने करीबियों से अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं तो प्रतिदिन की खबर लेना आपका छोटा कदम हो सकता है। आपको अपने जीवन की बेहतरी के लिए अपनी दैनिक दिनचर्या में बदलाव करना पड़ेगा।

अगर आपका बड़ा लक्ष्य तनाव कम करना है तो प्रतिदिन एक मिनट ध्यान करने की शुरुआत आपका छोटा लक्ष्य है। दशरथ मांझी का बड़ा लक्ष्य पर्वत को काटकर एक रास्ता बनाना था लेकिन उसको पूरा होने में सालों लग गए। कहने का तात्पर्य यह है अपने लक्ष्य को ध्यान में रख कर छोटे – छोटे काम करते रहें।

4. Surround yourself with positive people | खुद को सकारात्मक लोगों से घेरें।

वो एक कहावत है कि संगति का असर आ ही जाता है। हमारे चारों ओर कैसे लोग रहते हैं या हम किस माहौल में रहते हैं? हम जिस आचरण के लोगों के घेरे में रहते हैं वे हमारे व्यक्तित्व और व्यवहार को दर्शाते हैं। आप अपने चारों ओर नजर मार के देख सकते हैं आपकी surroundings कैसी है? 

खुद को उन लोगों से घेरने की कोशिश करें जिनमें सकारात्मक वाइब्स हैं। इससे आपको आत्मविश्वास हासिल करने में सहायता मिलेगी। आप अपने जीवन में नई चीजों और नए अवसरों को खोजने में सक्षम बनेंगे। किसी भी क्षेत्र में आपके जीतने की संभावनाएं अधिक होंगी। इसलिए खुद को सकारात्मक बनाए रखें। और ऐसे लोगों से दूर रहें जो आपको नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं।

5. Make personal development your priority | व्यक्तिगत विकास को अपनी प्राथमिकता बनाएं।

अपने व्यक्तिगत विकास के लिए काम करना प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व होना चाहिए। आप चाहे किसी भी क्षेत्र में कार्यरत हैं खुद पर अपने लिए काम करना भी बहुत आवश्यक है। यह एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी वाला काम है। जब आप अपनी क्षमताओं पर भरोसा करने लगते हैं और अपनी प्रतिभा को स्वीकारते हैं तो आप व्यक्तिगत के साथ व्यवसायिक रूप से भी विकास करने लगते हैं। 

समाज में प्रतिष्ठित बनने के लिए हमें खुद को साबित करना होगा। लोग आपको तब महत्त्व देते हैं जब आप खुद को महत्त्व देना शुरू करते हैं। इसलिए दैनिक जीवन और सामाजिक कार्यों के साथ स्वयं को निखारते रहें।

आशा करता हूं कि आपको मेरा ये आर्टिकल अच्छा लगा होगा। यदि आपको इसे पढ़कर कुछ आवश्यक जानकारी मिली हो तो हमें कमेंट बॉक्स में रिप्लाई करें। आपके कमेंट्स हमारे लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण होते हैं। और इस अच्छी जानकारी को अपने दोस्तों को भी शेयर करें। 

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