About Lata Mangeshkar in hindi | लता मंगेशकर की जीवनी।

About Lata Mangeshkar in hindi |  लता मंगेशकर की जीवनी।

About Lata Mangeshkarin hindi|लतामंगेशकरकीजीवनी।

जिनकी जिव्हा पर है मां सरस्वती का वास उन्हें लोग स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर कहते हैं। लता जी ने अपनी सुरीली आवाज के दम पर लगभग सात दशक तक भारतीय सिनेमा जगत पर राज किया है। आज हम इस समरी About Lata Mangeshkar in hindi | लता मंगेशकर की जीवनी। के बारे में जानेंगे। लता जी का संपूर्ण जीवन परिचय जानने के लिए इस लेख को आखिरी तक जरूर पढ़ें।

लता जी का संपूर्ण जीवन परिचय 

जन्म:-

लता मंगेशकर का जन्म इंदौर रियासत यानी आज के मध्य प्रदेश में 28 सितंबर 1929 को हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित दीनानाथ और माता का नाम शेवंती था। उनके पिता रंगमंच एलजी के गायक (कोंकणी व मराठी) और कलाकार थे। शेवन्ती एक गुजराती थीं। शादी के बाद जिनका नाम बदलकर सुधामती रख दिया था। उनकी पहली पत्नी का नाम नर्मदा था। 1927 में नर्मदा के गुजरने के बाद पंडित दीनानाथ ने नर्मदा की छोटी बहन शेवन्ती से शादी कर ली। 

कैसे रखा गया उनका नाम लता?

उनका जन्म के समय हेमा नाम रखा गया था। उनके पिता के एक नाटक भावबंधन के फीमेल कैरेक्टर लतिका के नाम पर उनके पिता उन्हें लता बोलने लगे। और इस तरह उनका नाम लता पड़ गया। लता मंगेशकर अपनी तीनों बहन मीना, उषा और आशा व एक भाई हृदयनाथ में सबसे बड़ी थीं। वे अपने भाई बहनों को बहुत प्यार करती थीं। 

कभी स्कूल क्यों नहीं गईं लता मंगेशकर :-

अगर कामयाबी और प्रसिद्धि की बात की जाए तो स्कूली शिक्षा मायने नहीं रखती। इसको सिद्ध करने के लिए लता जी के जीवन का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। हुआ यूं कि लता जी अपनी दस महीने की बहन आशा को स्कूल लेकर पहुंची। ये देखकर स्कूल के स्टाफ ने उन्हें मना किया तो लता जी को ये बात अच्छी नहीं लगी और वे स्कूल छोड़कर चली गई।

कुछ और सूत्रों से पता चला है कि वे स्कूल के अन्य छात्रों को संगीत सिखाया करती थीं जो कि वहां के स्टाफ को पसंद नहीं था। इसलिए उन्होंने स्कूल जाना बंद कर दिया। और इस तरह उनकी स्कूली शिक्षा कभी शुरू ही नहीं  हूई।

Profession | व्यवसाय।

जैसा कि हम सब जानते हैं, लता मंगेशकर जी एक मंझी हुई संगीतकार थीं। उनका जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जहां संगीत और कला की पूजा होती थी। इस पारिवारिक माहौल का लता के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। उनके पिता ने चार साल की उम्र से उन्हें  संगीत सिखाना शुरू कर दिया था। उनकी नानी भी लता को बहुत प्यार करती थीं और उन्हें लोकगीत जैसे कि गरबा सिखाया करती थीं।

नौ साल की उम्र में लता ने अपना पहला सिंगिंग परफॉर्मेंस दिया था। इस तरह लता जी ने सिंगिंग को अपना कैरियर बना लिया। उनकी दिव्य सुरीली आवाज, संगीत में अटूट लगन और प्रतिभा आज भी इस दुनिया में अमर है। भारतीय सिनेमा में उनकी पहचान एक playback singer (पार्श्वगायिका) के रूप में रही है। इसके अलावा वे संगीत निर्देशक, निर्माता और फिल्म निर्देशक भी बनीं।

वसंत जोगलेकर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘कीर्ति हसाल‘ के लिए उन्होंने पहली बार गाना गाया था। हालांकि उनका ये गाना अंत में किसी कारणवश काट दिया गया। लेकिन फिल्म के निर्देशक वसंत जोगलेकर उनकी प्रतिभा से काफी प्रभावित हुए थे। 

Struggle and sacrifice | संघर्ष और बलिदान।

About Lata Mangeshkarin hindi|लतामंगेशकरकीजीवनी।

पिता को खोने के बाद।

सफलता कभी भी बिना संघर्ष के नहीं मिलती। उसके लिए बहुत कुछ बलिदान करना पड़ता है। तेरह साल की उम्र में ही लता जी ने अपने पिता को खो दिया। घर में सभी भाई बहनों में बड़े होने के कारण उनके ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी आ गई थी। हालांकि उन्हें अभिनय बहुत ज्यादा पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने आर्थिक तंगी के चलते कुछ फिल्मों में अभिनय भी किया। 

पाहिली मंगलागौर (1942) में लता जी ने पहली बार अभिनय किया। इसके बाद अभिनय के रूप में उन्हें कई फिल्में मिलीं जैसे:- माझे बाल, चिमकुला संसार, गजभाऊ, बड़ी मां, जीवन यात्रा, मांद और क्षत्रपति शिवाजी। बड़ी मां फिल्म में लता जी ने नूरजहां के साथ अभिनय किया और छोटी बहन का रोल आशा भोंसले ने निभाया था।

मास्टर विनायक ने ली जिम्मेदारी लता जी के परिवार की।

पिता की असमय मृत्यु होने के बाद मास्टर विनायक ने लता जी के परिवार की जिम्मेदारी अपने सिर पर ले ली। मास्टर विनायक एक मूवी कंपनी के ऑनर और लता जी के पिता के अच्छे दोस्त थे। छोटी उम्र में ही पिता को खोने के बाद लता जी ने मास्टर विनायक को अपना गुरु और पिता मान लिया था। उन्होंने लता जी को सिंगिंग और एक्टिंग में कैरियर बनाने के लिए मोटिवेट किया था। 

1943 में बनी मराठी फिल्म गजाभाऊ में लता जी ने अपना पहला हिंदी गाना गाया था। इस गाने के बोल थे “माता एक सपूत की दुनिया बदल दे तू।” 1945 में मास्टर विनायक के हेडक्वार्टर के मुंबई में शिफ्ट होने के साथ लता जी भी मुंबई आ गईं। वहां लता जी भारतीय शास्त्रीय संगीत सीखने के लिए उस्ताद अमन अली से मिलीं। 1948 में मास्टर विनायक भी चल बसे और एक बार फिर लता जी को गहरा सदमा लगा। 

जब लता जी को अपनी पतली आवाज के चलते रिजेक्ट होना पड़ा।

विनायक के मरने के बाद लता मंगेशकर ने म्यूजिक डायरेक्टर गुलाम हैदर को अपना गुरु बनाया। गुलाम हैदर ने लता की मुलाकात प्रोड्यूसर शशिधर मुखर्जी से एक उभरती हुई सिंगर के रूप में कराई। लेकिन शशिधर मुखर्जी ने लता मंगेशकर को यह कहकर रिजेक्ट कर दिया कि उनकी आवाज बहुत ज्यादा पतली है। ये सुनकर गुलाम हैदर को बहुत बुरा लगा। तब उन्होंने ये एलान किया कि आने वाले समय में डायरेक्टर और प्रोड्यूसर उनके घर के सामने लाइन लगा के खड़े मिलेंगे। वो लता जी की प्रतिभा को भांप चुके थे।

म्यूजिक डायरेक्टर गुलाम हैदर ने लता मंगेशकर से फिल्म मजबूर (1948) में एक गाना गवाया। इस गाने के बोल थे “दिल मेरा तोड़ा, मुझे कहीं का ना छोड़ा।” इस गाने से लता जी को पहला बड़ा ब्रेक मिला था। लता जी कहती थी कि वे हमेशा गुलाम हैदर की शुक्र गुजार रहेंगी। वे उन्हें अपना गॉडफादर मानती थीं। 

About Lata Mangeshkar in hindi | लता मंगेशकर की जीवनी।

सिंगिंग कैरियर।

आपकी सेवा (1947) के निर्देशक, वसंत जोगलेकर ने लता जी को अपनी फिल्म में गाने का मौका दिया। इस फिल्म के गानों को लोगों ने खूब पसंद किया। बाद में उन्होंने मजबूर फिल्म के “अंग्रेजी छोरा चला गया” और “दिल मेरा तोड़ा हाय कहीं का ना छोड़ा तेरे प्यार ने” जैसे गाने गाए। इनसे उन्हें समाज में बहुत प्रसिद्धि मिली।

फिल्म “महल” (1949) से लता मंगेशकर को सबसे बड़ा ब्रेक मिला। इस फिल्म का गाना ‘आयेगा आनेवाला आएगा’ बहुत ही सुपर डुपर हिट हुआ और लोगों से उन्हें बहुत सराहना मिली। लता जी द्वारा गाए इस गाने को उस समय की सबसे सुंदर और प्रचलित अभिनेत्री मधुबाला और एक्टर अशोक कुमार पर फिल्माया गया था। यह फिल्म लता मंगेशकर और मधुबाला दोनों के लिए शुभ साबित हुई। 

1950 से 1970 का दशक

लता जी ने 1950 के दशक के सभी मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर्स के साथ काम किया था। शंकर जयकिशन, अमरनाथ, नौशाद अली, एस डी बर्मन तथा अनिल विश्वास इस जमाने के प्रसिद्ध म्यूजिक डायरेक्टर्स थे। उन्होंने एक श्रीलंकन फिल्म ‘सेदा सुलंग’ में भी गाना गाया था। “श्रीलंका मा प्रियादारा जयाभूमि” गाना जोकि ‘सिंहली भाषा’ का गाना है। “वनराधम” एक तमिल फिल्म है जिसमें गाना ‘ऐंथन कन्नलन’ भी लता जी ने ही गया था। उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, तमिल, सिंहली और कई रीजनल भाषाओं में भी गाने गाए। तो इस प्रकार भाषा की बंदिश जैसी कोई चीज ही नहीं थी लता जी के सामने। 

1957 में लता जी और एस डी बर्मन के बीच कुछ कहासुनी की वजह से उन्होंने पांच साल तक एक दूसरे के साथ काम नहीं किया। उसी समय लता जी को प्लेबैक सिंगिंग के लिए फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला। फिल्म ‘मुगले आजम’ का गाना “जब प्यार किया तो डरना क्या।” आज भी लोगों को बहुत पसंद आता है।

लता मंगेशकर एक के बाद एक सफलता की ऊंचाई को छूती जा रही थीं। “कहीं दीप जले कहीं दिल” के लिए उन्हें एक और फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया। 1960 की मशहूर कंपोजर जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के साथ लता जी ने 35 सालों में लगभग 700 से भी अधिक गाने रिकॉर्ड किए थे। अपने खूबसूरत गानों के चलते लता मंगेशकर को तीसरा फिल्मफेयर अवार्ड मिला।

देशभक्ति गीत

जब सन् 1962 में भारत – चीन के बीच युद्ध छिड़ गया था। उसी दौरान लता जी का एक देशभक्ति गीत रिलीज हुआ था। “ऐ मेरे वतन के लोगो”, जिसे लता ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के सामने गाया था। इस गाने को सुनकर नेहरू जी भी भावविभोर हो गए थे। उनका गाया हुआ ये गाना आज भी लोगों के दिलों में वीर जवानों के बलिदान की याद दिलाता है। 

1970 से 1990 का दशक।

लता मंगेशकर ने सिनेमा जगत के लगभग सभी महान गायकों के साथ गाने गाए। जिनमें हैं – मुकेश कुमार, मन्ना डे, मोहम्मद रफी और किशोर कुमार। इसी दौरान लता और रफी के बीच रॉयल्टी को लेकर कुछ अनबन भी हो गई थी। और उन्होंने एक दूसरे के साथ गाने से मना कर दिया था। फिर म्यूजिक डायरेक्टर जयकिशन ने उन दोनों के बीच हुई गलतफहमी का समाधान कराया। 

1970 में लता मंगेशकर के कई गाने मशहूर  हैं “हमको भी गम ने मारा”, शीशा हो या दिल हो” और “मेरे नसीब में” जैसे गाने। एस डी बर्मन और मीना कुमारी की लास्ट फिल्म 1970 में रिलीज हुई थी। इन दोनों की फिल्मों के अधिकतर गाने लता जी ने ही गाए थे। इनमें से कुछ मशहूर गाने थे – रंगीला रे, इन्ही लोगों ने, चलते चलते, खिलते हैं गुल यहां और पिया बिना।

यह भी पढ़ें : स्वामी विवेकानन्द की जीवनी।

1973 में लता जी को अपना पहला नेशनल अवार्ड मिला। “बीती ना बीतें रतियां” गाने के लिए उन्हें बेस्ट प्लेबैक सिंगर का अवार्ड मिला। उन्होंने एक मलयालम गाना भी गाया था। “रूठे रूठे पिया” गाने के लिए उन्हें एक और भारतीय पुरस्कार मिला। इतनी प्रसिद्धि मिलने के बाद अब उनके कॉन्सर्ट विदेशों में भी होने लगे। उनका पहला कॉन्सर्ट रॉयल अल्बर्ट हॉल, लंदन में हुआ था। 

राजकपूर द्वारा 1978 में  निर्देशित फिल्म “सत्यम शिवम सुंदरम” का मैन थीम सॉन्ग भी लता जी ने गाया था। पॉपुलर सिंगर और कंपोजर बप्पी लहरी ने भी लता के लिए कई सारे गाने कंपोज किए। यूनाइटेड वे ऑफ ग्रेटर टोरंटो ने 1985 में लता जी को परफॉर्म करने के लिए इनवाइट किया। कैनेडियन सिंगर एन मरे ने लता जी से “यू नीडेड मी” गाने के लिए रिक्वेस्ट की। बारह हजार की ऑडियंस में लता ने इस गाने को बखूबी से गाया। इस इवेंट से 50,000 डॉलर की कमाई हुई जिसे चैरिटी को दे दिया गया।

1990 से अब तक।

1990 के दशक में लता ने आनंद-मिलिंद, जतिन-ललित, अनु मलिक, एआर रहमान और नदीम-श्रवण जैसे डायरेक्टर्स के साथ काम किया। उसी दौरान लता को कई नौजवान सिंगर्स के साथ काम करने का मौका मिला। जिनमें हैं, उदित नारायण, सोनू निगम, कुमार सानू, अमित कुमार, अभिजीत भट्टाचार्य और मुहम्मद अजीज। नव्वे के दशक में लता ने खुद का प्रोडक्शन हाउस खोलने का निर्णय लिया। 

गुलजार के निर्देशन में फिल्म “लेकिन” लता जी के प्रोडक्शन हाउस में ही बनी थी। “यारा सिली सिली” (लेकिन) के लिए लता को अपना तीसरा नेशनल अवार्ड मिला। यश चोपड़ा और उनके प्रोडक्शन की लगभग सभी फिल्मों के गाने लता जी ने गए थे। जिनमें चांदनी, लम्हे, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, वीर-जारा, दिल तो पागल है, मुझसे दोस्ती करोगे और मोहब्बतें बेहद पॉपुलर फिल्में हैं। ए आर रहमान ने भी लता के साथ जिया जले, लुका छुपी, एक तू ही भरोसा जैसे सुपरहिट गाने रिकॉर्ड किए थे।

1994 में लता जी की एल्बम श्रद्धांजलि – माई ट्रिब्यूट टू द इमोर्टल्स रिलीज हुई। ये एल्बम लता ने अपने साथी महान गायकों किशोर कुमार, मोहम्मद रफी और मुकेश को श्रद्धांजलि दी थी। 1999 में लता मंगेशकर को जी सिने का लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला।

राजनीति और सामाजिक कार्य

बाद में लता जी पॉलिटिक्स में भी आईं और उन्हें राज्य सभा का मेंबर भी बनाया गया। बतौर राज्य सभा का मेंबर होने के बाद भी वे कोई वेतन नहीं लेती थीं। 2001 में लता मंगेशकर को भारत के सबसे ऊंचे नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया। इसी वर्ष उन्होंने पुणे में एक अस्पताल की नींव रखी। आज यह अस्पताल लता मंगेशकर मेडिकल फाउंडेशन की देखरेख में चल रहा है।

2005 में स्वरांजली नाम से लता जी ने ज्वैलरी कलेक्शन डिजाइन भी किया था। 2005 में कश्मीर अर्थक्वेक रिलीफ फंड में लता जी ने ऑक्शन से हुई कमाई का एक हिस्सा दान किया था।

हॉलीवुड भी पहुंचे लता जी के गाने

हॉलीवुड मूवी, एटरनल सनशाइन ऑफ द स्पॉटलेस माइंड में लता जी के गाने ‘तू वादा न तोड़’ को बतौर बैकग्राउंड म्यूजिक इस्तेमाल किया गया था। जिम कैरी और केट विंसलेट ने इस मूवी में मुख्य किरदार निभाया था। 

क्यों लता जी ने कभी शादी नहीं की।

मेलोडी क्वीन के नाम से फेमस लता मंगेशकर ने कभी शादी नहीं की। बीसीसी के एक्स प्रेसिडेंट और अपने भाई के अच्छे दोस्त, राज सिंह के साथ उनके रिश्ते हमेशा चर्चा में रहे। दोनों एक – दूसरे को पसंद करते थे और शादी करना चाहते थे लेकिन ये शादी नहीं हो पाई। राज सिंह का परिवार इस शादी के खिलाफ था क्योंकि वे एक शाही परिवार से थे। हालांकि दोनों अच्छे दोस्त बने रहे।

वे हमेशा कहती थी कि उनके पिता की मृत्यु के उनके ऊपर परिवार की जिम्मेदारी आ गई। इसलिए उन्हें घर बसाने का मौका ही नहीं मिला। इस बात में कितनी सच्चाई है ये तो कोई नहीं जानता शिवाय लता जी के। 

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में लता जी का नाम।

इतिहास में सबसे ज्यादा रिकॉर्डेड आर्टिस्ट के तौर पर लता जी का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। ऐसा माना जाता है कि बीस से अधिक भाषाओं में लता जी ने पच्चीस हजार से भी अधिक गाने गाए हैं। कुछ लोगों का मानना है कि उन्होंने पचास हजार से भी अधिक गाने गाए होंगे। जब लता जी से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैंने कभी गानों का रिकॉर्ड नहीं रखा। और न जाने गिनीज बुक के पास ये जानकारी कहा से आई। 

अवार्ड्स।

  • फिल्म फेयर अवार्ड (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 और 1994)
  • महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार 1966 और 1967)
  • पद्म भूषण – 1969
  • राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 और 1990)
  • सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड – 1974
  • दादा साहब फाल्के पुरस्कार – 1989
  • फिल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार – 1993
  • स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार – 1996
  • राजीव गांधी पुरस्कार – 1997
  • पद्म विभूषण – 1999
  • एन टी आर पुरस्कार – 1999
  • जी सिने का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार – 1999
  • आईआईएएफ का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार – 2000
  • भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” – 2001
  • स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार – 2001
  • नूरजहां पुरस्कार – 2001
  • महाराष्ट्र भूषण – 2001

इनके अलावा भी लता जी को अनेकों पुरस्कार और सम्मान मिले। मध्य प्रदेश सरकार ने भी लता मंगेशकर के नाम पर पुरस्कार की शुरुआत की।

मृत्यु

वे कुछ समय से बीमार चल रही थीं। 6 फरवरी 2022 को ब्रीच कैंडी अस्पताल, मुंबई में कोविड के कारण लता जी इस दुनिया को अलविदा कह गईं। आज भी पूरी दुनिया उनकी महान गायकी और सुरमय आवाज की दीवानी है। 

लता मंगेशकर का जीवन परिचय हमने इस आर्टिकल (About Lata Mangeshkar in hindi | लता मंगेशकर की जीवनी।) में दर्शाया है। उम्मीद करते हैं कि भारत कोकिला लता मंगेशकर के बारे में जानकारी आपको अच्छी लगेगी। आपकी क्या राय है, हमें कमेंट्स में जरूर बताएं। आपके कमेंट्स बहुत ही वैल्युएबल होते हैं। 

—🙏 धन्यवाद 🙏—

One thought on “About Lata Mangeshkar in hindi | लता मंगेशकर की जीवनी।

Leave a Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *