सोचिए और अमीर बनिए सारांश | think and grow rich summary
सोचिए और अमीर बनिए सारांश | think and grow rich summary
इस दुनिया में हर कोई अमीर बनने के सपने देखता है लेकिन सब बन नहीं पाते। ऐसा क्या है? देखिए सपने देखने मात्र से सब कुछ हासिल नहीं होता। ये तो धनवान बनने के लिए उस मंजिल की एक सीढ़ी है लेकिन महत्त्वपूर्ण है। आज हम अपने लेख (सोचिए और अमीर बनिए सारांश | think and grow rich summary) में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे।
देखिए यह think and grow rich book Napoleon hill द्वारा लिखित एक सेल्फ हेल्प बुक है। Think and grow rich उन प्रभावशाली पुस्तकों में से एक है जो व्यक्तिगत उपलब्धि की राह बताती है। आप आर्थिक स्वतंत्रता कैसे प्राप्त कर सकते हैं और वह समृद्धि भी जिसे पैसे के पैमाने पर नहीं नापा जा सकता।
कई साल पहले एंड्रयू कार्नेगी ने Think and grow rich book की प्रेरणा इसके लेखक Napoleon hill को व्यक्तिगत उपलब्धि के रूप में दी थी। कार्नेगी ने न सिर्फ खुद को अरबपति बनाया बल्कि बहुत से लोगों को करोड़पति बना दिया जिनको उन्होंने अपना यह रहस्य बताया था। देखिए think and grow rich book मुख्य तौर पर ‘क्या करें और कैसे करें ‘ की पुस्तक है।
आप उस सच्ची दौलत की तरफ आकर्षित हों और उसका आनंद लें जिसे आप अपने जीवन में हासिल करना चाहते हैं। जब आप think and grow rich book की फिलोसॉफी को लागू करना शुरू करें, तो जीवन में परिवर्तन के लिए तैयार रहें।
इस book (सोचिए और अमीर बनिए सारांश | think and grow rich summary) में पंद्रह अध्याय हैं। इसकी फिलोसॉफी न सिर्फ आपके जीवन के तनावों (stress) और दुखों को कम करेगी, बल्कि भौतिक संपत्ति हासिल करने के लिए भी आपको तैयार करेगी।
1. विचार ही वस्तु हैं | thoughts are things
“विचार ही वस्तु हैं”, यह सच है। ये बेहद शक्तिशाली वस्तु हैं जब इनके साथ निश्चित लक्ष्य (goal) और लगन हों। या इनके सहारे दौलत या किसी भौतिक वस्तु को हासिल करने की प्रबल इच्छा जुड़ी हो।
एडविन सी. बार्न्स वह आदमी थे जिनके दिमाग में थॉमस अल्वा एडीसन का पार्टनर बनने का विचार आया। उन्होंने एडिसन के साथ पार्टनरशिप करने की प्रबल इच्छा से इस विचार की शुरुआत की। और इस सच्चाई को जाना कि दरअसल सोचकर भी अमीर बन सकते हैं। परंतु इस सत्य को उन्होंने एक ही बार में नहीं जान लिया।
यह उनकी समझ में धीरे – धीरे आया और जब आया तब वो इस स्थिति में नहीं थे कि इस पर अमल कर सकें। उनकी राह में दो बाधाएं थीं। एक तो वे एडिसन को नहीं जानते थे। और दूसरी, उनके पास एडिसन के पास पहुंचने के लिए रेल के किराए तक के पैसे नहीं थे। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
अविष्कारक और फुटपाथिया | Inventor and pavement
एक दिन बार्न्स, मिस्टर एडिसन की प्रयोगशाला में पहुंचे और महान अविष्कारक एडिसन का बिजनेस पार्टनर बनने का प्रस्ताव रखा। कई वर्षों बाद इन दोनों के बीच हुई वार्ता को एडिसन ने कहा कि,
“वह एक साधारण फुटपाथिये की तरह मेरे सामने खड़ा था परंतु उसके चेहरे पर ऐसा कोई भाव था। जिससे यह दिखता था कि वह है जो पाना चाहता है उसने उसे हासिल करने का दृढ़ निश्चय कर रखा है। वर्षों के अनुभव से मैंने सीखा कि जब कोई व्यक्ति किसी चीज को इतनी बुरी तरह पाना चाहता है। कि वह उसे पाने के लिए अपना पूरा भविष्य जिंदगी के एक ही पांसे पर दांव पर लगा दे तो उस व्यक्ति की जीत पक्की है। मैंने उसे उसका मनचाहा अवसर इसलिए दिया क्योंकि मैं देख सकता था। कि उसने तय कर लिया है कि वह तब तक जुटा रहेगा जब तक कि वह सफल न हो जाए। बाद की घटनाओं ने यह साबित कर दिया कि मैंने कोई गलती नहीं की।”
थॉमस एडीसन न तो पहली बार में एडविन सी. बार्न्स के हुलिए से प्रभावित थे और न उन्होंने पहली बार में उसे अपना बिजनेस पार्टनर बनाया। लेकिन उन्हें कम तनख्वाह पर ऑफिस में काम पर रख लिया। समय गुजरता गया पर ऐसी कोई घटना नहीं हुई जो उनके बहुमूल्य लक्ष्य तक पहुंचा सके। इतने समय के बाद भी बार्न्स अपनी इस इच्छा शक्ति (will power) को लगातार और अधिक मजबूत बनाते जा रहे थे।
मनोवैज्ञानिक सही कहते हैं, “जब कोई व्यक्ति किसी चीज के लिए सचमुच तैयार होता है, तो वह चीज आ जाती है।” अगर लोग अपने लक्ष्य को निश्चित कर लें और एकाग्रता (concentration) व सम्पूर्ण समर्पण से उसे हासिल करने में जुट जाएं, तो लोगों की किस्मत बदल सकती है।
अवसर को पहचानना | recognize the opportunity
फिर एक दिन बार्न्स को वह मौका मिल गया जिसकी उन्हें काफी समय से तलाश थी। अवसर अचानक से आता है इसलिए शायद बहुत से लोग इसे पहचान नहीं पाते। एडिसन ने एक नया ऑफिस यंत्र बनाया जिसे उस वक्त एडिसन डिक्टेटिंग मशीन के नाम से जाना जाता था। उनके सेल्समैन इस मशीन को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं थे। और उन्हें यह विश्वास था कि इसे बेचना आसान नहीं है।
बार्न्स के लिए यह एक सुनहरा अवसर था क्योंकि बार्न्स और एडिसन के अलावा इस मशीन में किसी तीसरे व्यक्ति को कोई दिलचस्पी नहीं थी। बार्न्स जानते थे कि वे एडिसन डिक्टेटिंग मशीन को बेच सकते हैं। उन्होंने एडिसन को यह सुझाव दिया और उन्हें यह मौका मिल गया। उन्होंने मशीन इतनी सफलतापूर्वक बेची कि एडिसन ने उन्हें पूरे देश में डिस्ट्रीब्यूशन करने और मार्केटिंग का कॉन्ट्रैक्ट दे दिया।
बार्न्स ने इस बिजनेस के सहयोग से ढेर सारा पैसा कमाया। और सबसे बड़ी बात ये साबित कर दी कि “सोचने से भी इंसान अमीर बन सकते हैं।”
सिद्धांत | principle
“किसी भी इंसान के जीवन में सफलता आने से पहले अस्थाई पराजय या असफलता जरूर आती है। जब इंसान पराजित हो जाता है तो सबसे आसान रास्ता यही होता है कि व्यक्ति मैदान छोड़ दें। और अधिकतर लोग यही करते हैं।”
सफलता उन्हीं को मिलती है जो सफलता के बारे में जागरूक (success conscious) होते हैं। और असफलता उन्हें मिलती है जो असफलता के बारे में जागरूक (failure conscious) होते हैं।
हमारे दिमाग में जो विचार प्रबल होते हैं हमारा मस्तिष्क उनकी तरफ चुंबकीय शक्ति से आकर्षित होता है। इंसान आज तक इसका कारण नहीं जान पाया कि यह ‘चुंबक’, ऐसी शक्तियों और परिस्थितियों को आकर्षित क्यों करता है। जो हमारे प्रबल विचारों से संबद्ध होते हैं।
ढेर सारी दौलत हासिल करने से पहले हमें अपने मन में दौलत हासिल करने की प्रबल इच्छा का चुंबकीय विचार रखना चाहिए। हमें धन के बारे में जागरूक बनना चाहिए। जब तक कि दौलत की प्रबल इच्छा इसे हासिल करने की कोई निश्चित योजना न बनवा दे।
2. इच्छा | desire
कुछ साल बाद एडविन सी. बार्न्स और एडिसन उसी प्रयोगशाला में खड़े थे, जहां पहली बार मिले। इस बार उनकी प्रबल इच्छा हकीकत में बदल चुकी थी। वे एडिसन के साथ मिलकर बिजनेस कर रहे थे। उनकी इच्छा सिर्फ एक आशा नहीं थी, यह सिर्फ कामना नहीं थी यह एक तीव्र, प्रबल इच्छा थी जो सबसे ऊपर थी।
वे इसलिए सफल हुए क्योंकि उन्होंने एक निश्चित लक्ष्य (aim) चुना। और उन्होंने उस लक्ष्य को प्राप्त करने में अपनी सारी ऊर्जा, इच्छाशक्ति (willpower) और प्रयास हर चीज झोंक दी। इंसान का मस्तिष्क जो सोच सकता है और जिसमें यकीन कर सकता है, उसे वह हासिल कर सकता है।
अमीरी की तरफ धकेलने वाली प्रेरणा | inspiration pushing towards the rich
काफी समय पहले एक योद्धा के सामने ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो गई कि युद्ध में उसे अपनी सफलता सुनिश्चित करना जरूरी हो गया था। वह अपनी सेना को उस शक्तिशाली सेना के खिलाफ भेजने वाला था जिसमें दुश्मन सैनिकों की संख्या ज्यादा थी।
उसने अपने सैनिकों और गोला – बारूद को जहाजों में भरा और दुश्मन देश तक का सफर तय किया। वहां पहुंचने पर सिपाहियों और सारे हथियार को उतारकर उन जहाजों को जलाने का आदेश दे दिया जो उन्हें वहां तक लाए थे। युद्ध शुरू होने से पहले उसने अपने सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा कि,
“आप देख रहे हो सारे जहाज जला दिए गए हैं। इसका मतलब यह है कि हम यहां से तब तक जिंदा वापस नहीं जा सकते जब तक हम जीत नहीं जाते। हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है। या तो हम जीतेंगे — या फिर हम मर जायेंगे।”
और वे जीत गए।
हर वो व्यक्ति जो किसी भी काम में जीत हासिल करना चाहता है, उसे अपने जहाज जलाने के लिए तैयार रहना होगा। अपने पीछे हटने के सारे रास्ते बंद करने होंगे। तभी आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके मस्तिष्क में जीतने की वह धधकती हुई प्रबल इच्छा बनी रहेगी जो सफलता के लिए अनिवार्य है।
प्रबल इच्छा को सोने में बदलने के छह तरीके | six ways to convert strong desire into gold
अमीरी की प्रबल इच्छा को हकीकत में बदलने का एक तरीका है, जिसमें छह निश्चित प्रैक्टिकल कदम हैं :-
पहला : अपने दिमाग में पैसे की वह निश्चित मात्रा सोच लें जिसे हासिल करने की आपकी प्रबल इच्छा है। केवल यही कहना पर्याप्त नहीं है, “मैं ढेर सारा पैसा चाहता हूं।” इस निश्चित रकम के पीछे एक मनोवैज्ञानिक कारण है।
दूसरा : यह निश्चित कर लें की जिस पैसे की आपमें प्रबल इच्छा है उसके बदले में आप क्या देना चाहेंगे। सच तो यह है कि इस दुनिया में मुफ्त में कोई भी चीज हासिल नहीं होती।
तीसरा : एक निश्चित तारीख तय करें जब तक आप यह इच्छित धनराशि पाना चाहते हैं।
चौथा : एक निश्चित योजना बना लें जिससे आप अपनी प्रबल इच्छा को सच बनाएंगे। और फिर चाहे आप तैयार हों या न हों, एकदम काम पर जुट जाएं और उस योजना को कार्यरूप में ले आएं।
पांचवां : आप कितनी रकम हासिल करना चाहते हैं, उसकी समय – सीमा, आप उस धनराशि के बदले में क्या देना चाहते हैं। वह योजना जिसके द्वारा आप यह धनराशि हासिल करना चाहते हैं। इन सबका स्पष्ट और संक्षिप्त ब्यौरा लिख लें।
छठवां : अपने लिखे हुए ब्यौरे को दिन में दो बार जोर – जोर से पढें। एक बार रात को सोने से पहले और एक बार सुबह उठते ही। जब आप पढ़ें तो यह feel करें और विश्वास करेें जैसे आपके पास उतना पैसा अभी हाल में मौजूद है।
“मानसिक कैमिस्ट्री” जादू की तरह काम करती है
यह क्यों होता है? यह तो हम नहीं जानते, परंतु “मानसिक कैमिस्ट्री” के किसी अजीब और सशक्त सिद्धांत के द्वारा प्रकृति प्रबल इच्छा के आवेग में ऐसा कुछ भर देती है। जिसके कारण व्यक्ति असफलता शब्द को पहचानने से इंकार कर देता है और इसी कारण वह कभी असफल नहीं होता है।
3. आस्था | faith | believe
इच्छा को हासिल करने का स्पष्ट चित्र:
आस्था | faith | believe मस्तिष्क के हेड केमिस्ट है। जब आस्था को विचार के साथ मिलाया जाता है तो अवचेतन मस्तिष्क तत्काल इस कम्पन को भांप लेता है। इसे इसके आध्यात्मिक समतुल्य ( spiritual equivalent) में बदल देता है। और इसे अनंत प्रज्ञा (infinite intelligence) को संप्रेषित कर देता है। जैसा कि प्रार्थना के साथ होता है।
“मस्तिष्क की कोई सीमाएं नहीं हैं, सिवाय उनके जिन्हें हम मान लेते हैं। गरीबी और अमीरी दोनों ही विचार की संतानें हैं।”
सकारात्मक भावनाओं में सबसे सशक्त भाव हैं – आस्था, प्रेम और सेक्स। जब यह तीनों मिल जाते हैं तो ये विचार को इस तरह से “रंग” देते हैं कि यह तत्काल अवचेतन मस्तिष्क (subconscious mind) तक पहुंच जाता है। जहां यह आध्यात्मिक समतुल्य में बदल जाता है क्योंकि इसी आध्यात्मिक समतुल्य की क्रिया पर अनंत प्रज्ञा की प्रक्रिया होती है।
जब विचार भावनाओं के साथ संयोजित हो जाते हैं तो वे एक “चुंबकीय” शक्ति बन जाते हैं। जो अपने समान या अपने से जुड़े दूसरे विचारों को आमंत्रित करते हैं।
“जीवन के युद्ध में हमेशा वही नहीं जीतता जो सबसे ताकतवर या तेज होता है, बल्कि जल्दी या देर से वही जीतता है जो सोचता है कि वह जीत सकता है।”
अमीरी विचार से शुरू होती है | rich starts with thought
अमीरी विचार से शुरू होती है। धनराशि की सीमा उस व्यक्ति द्वारा निश्चित की जाती है जिसके दिमाग में यह विचार आता है। आस्था सीमाओं को हटा देती है। जब आप जीवन से अपनी मनचाही वस्तु के लिए कीमत का सौदा करें तो हमेशा इस बात को ध्यान में रखें।
आस्था को कैसे विकसित करें | how to develop faith
आस्था एक मानसिक अवस्था है। जिसे आप आत्मसुझाव के सिद्धांत के प्रयोग द्वारा निर्मित या प्रेरित कर सकते हैं। अपने आप में आस्था रखें; परमपिता में आस्था रखें। आस्था ही वह “अमृत” है जो विचार के आवेग को जीवन, शक्ति और क्रियाशीलता प्रदान करता है। यह धन कमाने का शुरुआती बिंदु है।
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यह उन सभी “चमत्कारों” और रहस्यों का आधार है, जिन्हें विज्ञान के नियमों के आधार पर स्पष्ट नहीं किया जा सकता। आस्था असफलता का इकलौता इलाज है। यह वह तत्व, वह “रसायन” है जिसे जब प्रार्थना के साथ मिलाया जाता है तो इंसान अनंत प्रज्ञा के साथ सीधा संवाद करता है।
“यदि आप आस्था के भाव को अपनी इच्छा के अनुसार विकसित करना चाहते हैं। तो इसका एकमात्र तरीका यही है कि आप अपने अवचेतन मस्तिष्क को बार – बार सकारात्मक निर्देश देते रहें।”
भाव और विचारों (Thoughts) का भावनात्मक पक्ष वे तत्व हैं, जो विचारों को जीवन, जीवंतता और सक्रियता देते हैं। आस्था, प्रेम और सेक्स के भाव जब किसी भी विचार के संवेग के साथ जुड़ते हैं तो वे उसे बेहद शक्तिशाली बना देते हैं।
न केवल आस्था से जुड़े विचार संवेग (thought impulses) बल्कि किसी भी सकारात्मक भाव या नकारात्मक भाव से जुड़े विचार संवेग अवचेतन मस्तिष्क तक पहुंचते हैं। और उसे प्रभावित कर सकते हैं।
4.आत्मसुझाव | autosuggestion
अवचेतन मस्तिष्क को प्रभावित करने का तरीका:
आत्मसुझाव वे सुझाव हैं जो हमारी पांचों इंद्रियों के माध्यम से हमारे मस्तिष्क तक पहुंचते हैं। यह अवचेतन मस्तिष्क और चेतन मस्तिष्क के बीच संवाद का प्रमुख माध्यम है। साधारण भावरहित शब्द अवचेतन मन को प्रभावित नहीं करते। आपको तब तक अच्छे परिणाम नहीं मिलते जब तक कि आप यह न सीख जाएं कि आस्था और भावना के साथ किस प्रकार के शब्दों या विचारों को अवचेतन मस्तिष्क तक पहुंचाया जाए।
“जिन प्रबल विचारों को आप अपने चेतन मस्तिष्क में रहने की अनुमति देते हैं, वे आत्मसुझाव के सिद्धांत द्वारा स्वतः अवचेतन मस्तिष्क तक पहुंचते हैं और इसे प्रभावित करते हैं।”
हमारा अवचेतन मस्तिष्क एक बगीचे की तरह है जिसमें यदि अच्छी फसलों के बीज न बोए जाएं तो उसमें खरपतवार स्वतः ही पनपने लगते हैं। आत्मसुझाव के सिद्धांत द्वारा आप अपने इस मस्तिष्क रूपी बगीचे को खरपतवार (नकारात्मक विचारों) से बचा सकते हैं। और उसमें अच्छी किस्म (सकारात्मक व रचनात्मक विचारों) के बीजों को उगाकर विकसित कर सकते हैं।
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मानसिक शक्ति का रहस्य | secret of mental strength
दार्शनिकों के अनुसार — इंसान इस धरती पर अपने भाग्य का निर्माता खुद ही है। परंतु उनमें से अधिकांश यह कहना भूल गए हैं कि वह अपने भाग्य का निर्माता क्यों है। इंसान स्वयं का और अपने आस – पास के माहौल का निर्माता बन सकता है क्योंकि उसके पास अपने अवचेतन मस्तिष्क को प्रभावित करने की शक्ति है।
5. विशेषज्ञीय ज्ञान | expert knowledge
ज्यादातर प्रोफेसरों के पास बहुत कम पैसा होता है। कहने का तात्पर्य वे बहुत अमीर भी नहीं होते। ज्ञान देना उनकी विशेषज्ञता है, परंतु वे इस ज्ञान के संगठन या उपयोग के विशेषज्ञ नहीं होते। ज्ञान दो प्रकार का होता है। एक सामान्य ज्ञान और दूसरा विशिष्ट ज्ञान। सामान्य ज्ञान चाहे कितनी भी मात्रा या विविधता में हो, धन के संग्रह में यह अधिक उपयोगी नहीं होता।
ज्ञान से पैसा नहीं आता, जब तक कि धन के संग्रह का लक्ष्य न बनाया जाए। और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कार्य की व्यवहारिक योजना बनाकर इस ज्ञान को संगठित और बुद्धिमानी पूर्वक इसका प्रयोग न किया जाए।
थॉमस एडीसन अपनी जिंदगी में सिर्फ तीन महीने स्कूल गए थे, परंतु उनके पास शिक्षा की कमी नहीं थी। और न ही वह गरीब थे। हेनरी फोर्ड छठी कक्षा से कम पढ़े थे, परंतु आर्थिक दृष्टि से बहुत अच्छे थे। विशिष्ट ज्ञान प्रचुरता में उपलब्ध है और आप काफी कम दामों में विशिष्ट ज्ञान रखने वाले लोगों को नौकरी पर रख सकते हैं।
विशेषज्ञीय ज्ञान की राह | path of expert knowledge
कहा जाता है कि इस दुनिया में सबसे बड़ा पब्लिक स्कूल सिस्टम है। इंसानों के साथ एक अजीब चीज यह है कि वे उसी चीज को मूल्यवान और महत्त्वपूर्ण समझते हैं जिसकी वे कीमत चुकाते हैं। फ्री स्कूल लोगों पर प्रभाव नहीं डाल पाते क्योंकि वो फ्री हैं। याद रखें, विचार ही प्रमुख वस्तु है। विशेषज्ञीय ज्ञान आपको किसी भी नुक्कड़ पर मिल सकता है।
6. कल्पना | imagination
मस्तिष्क की कार्यशाला | brain workshop:
इंसान जिस चीज की कल्पना कर सकता है, वह उसकी रचना भी कर सकता है। कल्पना सचमुच में वह वर्कशॉप है जहां इंसान द्वारा बनाए गए सभी प्लान सही आकार में ढलते हैं। यहां मस्तिष्क की कल्पना की शक्ति द्वारा संवेग या इच्छा को आकार, रूप और कार्यरूप दिया जाता है।
इंसान अपनी कल्पनाशक्ति की मदद से प्रकृति की शक्तियों का दोहन करता रहा है। उसने हवा को जीत लिया है और उड़ने के मामले में पक्षियों को भी पीछे छोड़ दिया है। उसने करोड़ों मील दूर स्थित सूर्य किस तत्व का बना है और उसका भार कितना है, सब निर्धारित कर लिया है।
विचारों को नकदी में रूपांतरित कैसे करें | how to convert ideas into cash
विचारों की कोई औसत या निर्धारित कीमत नहीं होती। विचारों का रचयिता अपनी खुद की कीमत तय करता है और यदि वह स्मार्ट होता है तो उसे वह कीमत मिल जाती है। विचार अमूर्त शक्तियां है, परंतु उनमें भौतिक मस्तिष्कों से अधिक शक्ति होती है जिनसे वह उत्पन्न होते हैं। उनमें जिंदा बने रहने की शक्ति है। और यह शक्ति तब भी बनी रहती है जबकि उन्हें जन्म देने वाला मस्तिष्क धूल में मिल चुका होता है।
7. सुव्यवस्थित योजना | well organized plan
नेपोलियन हिल अपनी इस पुस्तक (सोचिए और अमीर बनिए सारांश | think and grow rich summary) में लिखते हैं कि इंसान जो भी सृजन करता है या हासिल करता है, वह इच्छा के रूप में शुरू होता है। इच्छा ही हमें यात्रा के पहले दौर में ले जाती है, कल्पना की वर्कशॉप में ले जाती है। जहां इस रूपांतरण की योजनाएं बनाई जाती हैं और व्यवस्थित की जाती हैं।
अधिकांश लीडर्स अनुयायी के रूप में शुरुआत करते हैं | most leaders start as followers
सामान्यतः दुनिया में दो प्रकार के लोग होते हैं। एक तरह के लोगों को लीडर्स के रूप में जाना जाता है और दूसरी तरह के लोगों को अनुयायियों के रूप में। शुरुआत में ही आपको यह निर्णय करना है कि आपके चुने हुए व्यवसाय में आप लीडर बनना चाहते हैं। या फिर अनुयायी बने रहना पसंद करते हैं। बदले में जो मिलता है, उसमें बड़ा भारी अंतर होता है।
अनुयायी होने में कोई अपमानजनक बात नहीं है। दूसरी ओर, अनुयायी बने रहना कोई तारीफ की भी बात नहीं है। अधिकांश महान लीडर्स ने अनुयायी के रूप में शुरुआत की थी। वे महान लीडर्स इसलिए बने क्योंकि वे समझदार अनुयायी थे। जो व्यक्ति समझदारी से किसी लीडर का अनुसरण नहीं कर सकता वह कभी सफल लीडर नहीं बन सकता।
क्या आप अपना मूल्य जानते हैं | do you know your value
आपको अपनी सारी कमजोरियों का पता होना चाहिए। ताकि आप उन पर पुल बना सकें या उन्हें पूरी तरह से दूर कर सकें। आपको अपनी शक्तियां भी मालूम होना चाहिए। ताकि आप अपनी सेवाएं बेचते समय उनकी तरफ सामने वाले का ध्यान आकर्षित कर सकें।
आप अपने आप को सिर्फ सटीक विश्लेषण के द्वारा जान सकते हैं। यदि आप सामान को सफलतापूर्वक बेचना चाहते हैं तो आपको सामान का ज्ञान होना चाहिए। यह व्यक्तिगत सेवाओं की मार्केटिंग के बारे में भी उतना ही सही है।
8. निर्णय | decision
बिजनेस, नौकरी या फिर घरेलू मामलों में निर्णय लेने की कला ये तय करती है कि आप कितने गुणी हैं? किसी भी कार्य के लिए सही समय पर लिया गया फैसला उस कार्य में सफलता की संभावना को बढ़ा देता है।
टालमटोल की आदत पर विजय पाना | overcoming the habit of procrastination
इस किताब (सोचिए और अमीर बनिए सारांश | think and grow rich summary) में Napoleon hill ने बताया है कि असफलता के 31 प्रमुख कारण हैं। इसका अभाव उन कारणों में सबसे ऊपर आता है जो 25000 असफल पुरुषों और महिलाओं के विश्लेषण में सामने आया। टालमटोल की आदत, जो निर्णय करने की विरोधी है, एक आम शत्रु है जिसे हर इंसान को जीतना जरूरी है।
आप जो चाहते हैं वह आपको आमतौर पर मिल जायेगा | you usually get what you want
यह नियम हर इस आदमी के लिए उपलब्ध है जिसमें इनका प्रयोग करने का साहस और आस्था है। इस तरीके के रहस्य की खोज में चमत्कार की तलाश न करें क्योंकि आपको चमत्कार नहीं मिलेंगे। आपको केवल प्रकृति के शाश्वत नियम मिलेंगे। जो लोग तत्काल निर्णय पर पहुंचते हैं, वे जानते हैं कि वे क्या चाहते हैं और वह उनको आमतौर पर मिल ही जाता है।
जीवन के किसी भी क्षेत्र में लीडर्स तत्काल और दृढ़ता से निर्णय लेते हैं। यही वह प्रमुख कारण है कि वे लीडर्स होते हैं। दुनिया में उस व्यक्ति को जगह देने की आदत होती है, जिसके शब्दों और कार्यों से पता चलता है कि वह कहां जा रहा है। निर्णय न लेने की आदत विद्यार्थी के साथ उस व्यवसाय में भी साथ जाती है जिसे वह चुनता है।
आमतौर पर कॉलेज से निकलने के बाद विद्यार्थी नौकरी की तलाश करते हैं चाहे जो मिल जाए। वह मिलने वाली पहली नौकरी करता है क्योंकि उसे अनिर्णय की आदत लगी हुई है। 98% लोग आज सिर्फ ऐसे पदों पर तनख्वाह के लिए काम कर रहे हैं। क्योंकि उनमें कोई निश्चित योजना बनाने के लिए निश्चित निर्णय लेने की शक्ति का अभाव था। निश्चित निर्णय लेने में साहस की आवश्यकता होती है कई बार तो बहुत अधिक साहस की।
9. लगन | diligence
लगन का आधार ही इच्छाशक्ति (willpower) है। इच्छा को इसके आर्थिक समतुल्य में रूपांतरित करने की प्रक्रिया में लगन एक अनिवार्य तत्व है। आस्था उत्पन्न करने के लिए आवश्यक निरंतर प्रयास को लगन कहते हैं। जिन लोगों में इच्छाशक्ति होती है वे इसे अपनी लगन के साथ मिलाकर अपने लक्ष्यों को हासिल करना सुनिश्चित कर लेते हैं।
लगन का आपका इम्तिहान | your test of diligence
असफलता के सबसे बड़े कारणों में से लगन का अभाव एक है। हजारों लोगों के अनुभव ने यह साबित किया है कि लगन का अभाव एक ऐसी कमजोरी है, जो अधिकतर लोगों में पाई जाती है। इस कमजोरी को प्रयास के द्वारा दूर किया जा सकता है। यदि आपमें इसका अभाव है तो इस कमजोरी का इलाज है कि आप अपनी इच्छा की आग को प्रबल बना लें।
पैसा कमाने के लिए “धन की चेतना” को विकसित करें क्योंकि अमीरी इसी चेतना के विकसित होने के बाद आती है। दौलत उस व्यक्ति की तरफ खिंची चली आती है जिसका मस्तिष्क उसे आकर्षित करने के लिए तैयार है। ठीक उसी तरह जिस तरह पानी समुद्र की तरफ खिंचा चला जाता है।
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क्या आप आलोचना से डरते हैं | are you afraid of criticism
लोग बिजनेस में जोखिम उठाने से इंकार कर देते हैं क्योंकि उन्हें उस आलोचना का डर होता है, जो असफल होने के बाद उन्हें सुनने को मिलेगी। इन मामलों में आलोचना का डर सफलता की इच्छा से अधिक प्रबल होता है। बहुत सारे लोग खुद के लिए ऊंचे लक्ष्य बनाने से इंकार कर देते हैं। या वे करियर चुनने को भी नजरंदाज कर देते हैं क्योंकि उन्हें रिश्तेदारों और दोस्तों की आलोचना का डर होता है।
10. मास्टरमाइंड की शक्ति | power of mastermind
योजनाएं तब तक निष्क्रिय और व्यर्थ हैं जब तक कि उन्हें कार्यरूप में रूपांतरित करने की पर्याप्त शक्ति न हो। शक्ति से हमारा आशय है, वह संगठित प्रयास जो किसी व्यक्ति की इच्छा को इसके आर्थिक समतुल्य में रूपांतरित करने के लिए पर्याप्त है। संगठित प्रयास दो या इससे अधिक लोगों के संयोजित प्रयास का फल होता है, जो एक निश्चित लक्ष्य की ओर सद्भाव की भावना के साथ काम करते हैं।
धन कमाने के लिए शक्ति आवश्यक है। धन कमाने के बाद उसे बनाए रखने के लिए भी शक्ति आवश्यक है।
मास्टरमाइंड के द्वारा शक्ति हासिल करना | gaining power through mastermind
मास्टरमाइंड को इस तरह परिभाषित कर सकते हैं:
“किसी निश्चित लक्ष्य को हासिल करने हेतु दो या उससे अधिक लोगों का सद्भाव की भावना के साथ ज्ञान और प्रयास का संयोजन।”
किसी भी अन्य सिद्धांत के द्वारा महान शक्ति हासिल नहीं की जा सकती। और कोई भी अकेला व्यक्ति बिना “मास्टरमाइंड” की मदद के बड़ी शक्ति हासिल नहीं कर सकता।
11. सेक्स रूपांतरण का रहस्य | secret of sex conversion
सेक्स का विचार एक मानसिक अवस्था से है। रूपांतरण शब्द का आसान भाषा में अर्थ है, “किसी तत्व या ऊर्जा के प्रकार को दूसरे रूप में बदलना या परिवर्तित करना।” सेक्स रूपांतरण का अर्थ है मस्तिष्क का भौतिक अभिव्यक्ति के विचारों से दूसरी प्रकृति के विचारों तक पहुंचना।
सेक्स की इच्छा सभी मानवीय इच्छाओं में सबसे शक्तिशाली इच्छा होती है। सेक्सुअल अभिव्यक्ति की इच्छा जन्मजात और प्राकृतिक है। इसे नष्ट नहीं किया जा सकता। इसे अभिव्यक्ति के उन रूपों में मोड़ना चाहिए जिनसे इंसान के शरीर, मस्तिष्क और आत्मा समृद्ध होते हैं।
लोग चालीस साल से पहले कम सफल क्यों होते हैं | why do people become less successful before forty years old
पच्चीस हजार से अधिक लोगों के विश्लेषण में यह तथ्य सामने आया कि जो लोग बेहद सफल होते हैं। वे चालीस साल के ऊपर वाले होते हैं। अधिकांश लोग चालीस से पहले सफल इसलिए नहीं हो पाते दरअसल वे सेक्स के भाव की शारीरिक अभिव्यक्ति में अधिक संलग्न रहते हैं।
सेक्सुअल अभिव्यक्ति की आकांक्षा समस्त मानवीय भावों में सबसे प्रबल और सशक्त है। इसी कारण जब इसका दोहन किया जाता है। और इसे शारीरिक अभिव्यक्ति के बजाय अन्य मार्गों पर प्रयुक्त किया जाता है तो यह किसी को भी महान उपलब्धि के स्तर पर ले जा सकती है।
चालीस के बाद के लाभदायक वर्ष | profitable years after forty
यह वक्तव्य हजारों स्त्री – पुरुषों के विश्लेषण पर आधारित है। किसी भी क्षेत्र में ऐसा बहुत कम होता है कि कोई व्यक्ति उच्च रचनात्मक प्रयास में चालीस साल की उम्र से पहले दाखिल हुआ हो। औसत व्यक्ति की महानतम रचनात्मक क्षमता की उम्र चालीस और साठ के बीच होती है। यह उन लोगों के लिए उत्साहवर्धक होना चहिए जो चालीस साल से पहले सफल नहीं हो पाए हैं।
12. अवचेतन मस्तिष्क | subconscious mind or brain
आपका अवचेतन मस्तिष्क छवियों और विचारों को ग्रहण करता है और उन्हें फाइल करता है। चाहे उनकी प्रकृति कैसी भी हो। आप अपने अवचेतन मस्तिष्क में किसी भी ऐसी योजना, विचार या लक्ष्य को स्वैच्छिक रूप से डाल सकते हैं। जिसे आप इसके भौतिक समतुल्य में रूपांतरित करना चाहते है। अवचेतन मस्तिष्क सबसे पहले उन प्रबल इच्छाओं के अनुसार कार्य करता है जब उनमें आस्था जैसी भावनाओं का समावेश हो।
अवचेतन मस्तिष्क दिन – रात कार्य करता है। इंसान उस तरीके को नहीं जानता जिससे अवचेतन मस्तिष्क अनंत प्रज्ञा की शक्तियों से ऐसी शक्ति खींच लेता है। जिसके द्वारा यह स्वैच्छिक रूप से किसी की इच्छाओं को उनके भौतिक समतुल्य में बदल देता है। और यह हमेशा लक्ष्य को हासिल करने के सबसे प्रैक्टिकल और सबसे सीधे माध्यम का प्रयोग करता है।
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अपने सकारात्मक भावों से अपने लिए काम कराएँ | make your positive feelings work for you
मस्तिष्क के तार्किक हिस्से में मौजूद विचारों की तुलना में अवचेतन मस्तिष्क उन विचार संवेगों से अधिक प्रभावित होता है। और उन्हें अच्छी तरह ग्रहण करता है जिनमें भावना या भाव मिश्रित होते हैं। दरअसल इस सिद्धांत के समर्थन में काफी प्रमाण हैं कि भावात्मक विचार ही अवचेतन मस्तिष्क पर सक्रिय प्रभाव डालते हैं। यह एक सुपरिचित सत्य है कि भावनाएं अधिकतर लोगों पर शासन करती हैं।
13. मस्तिष्क | brain
हर मानवीय मस्तिष्क विचार के कम्पन का ब्रॉडकास्टिंग और रिसीविंग सेंटर होता है। रेडियो ब्रॉडकास्टिंग सिद्धांत की तरह हर इंसान का मस्तिष्क भी दूसरे मश्तिष्कों द्वारा प्रसारित किए जा रहे विचार संवेगों को पकड़ने में सक्षम होता है। रचनात्मक कल्पनाशीलता मस्तिष्क का “रिसीविंग सेट” है, जिसके द्वारा यह उन विचारों को ग्रहण करता है जो दूसरे मश्तिष्कों द्वारा प्रसारित किए जाते हैं।
जब इसे प्रेरित किया जाए या जब यह कम्पन के उच्च स्तर पर कार्य कर रहा होता है। उस वक्त मस्तिष्क बाहरी स्रोतों द्वारा इस तक पहुंचने वाले विचारों को ग्रहण करने के प्रति ज्यादा संवेदनशील होता है। कंपन की उच्च दर सकारात्मक या नकारात्मक भावनाओं द्वारा घटित होती हैं। भावनाओं द्वारा विचार के कम्पन को बढ़ाया जा सकता है।
अमीरी की चाह कोई भी व्यक्ति रख सकता है और अधिकतर लोग रखते हैं लेकिन केवल कुछ लोग ही जानते हैं। कि एक निश्चित योजना और दौलत की धधकती प्रबल इच्छा ही दौलत कमाने के भरोसेमंद साधन हैं।
14. छठी इंद्रिय | the sixth sense
छठी इंद्रिय अवचेतन मस्तिष्क का वह हिस्सा है जिसे रचनात्मक कल्पनाशीलता कहा गया है। इसे वह “रिसीविंग सेट” कहा गया है जिसके द्वारा हमारे दिमाग में विचार और योजनाएं कौंधते हैं। इन कौंधों को कई बार प्रेरणा (motivation) या आभास कहा जाता है। छठी इंद्रिय को समझने के लिए मस्तिष्क को अंदर से विकसित और साधना की आवश्यकता होती है।
प्रेरणा के स्रोत का दोहन | exploit the source of inspiration
हमारे मस्तिष्क में कोशिका – विन्यास के बीच में कहीं पर एक ऐसा अंग है, जो उस विचार के कंपनों को प्राप्त करता है जिसे “आभास” कहा जाता है। अब तक विज्ञान यह नहीं खोज पाया है कि यह छठी इंद्रिय का अंग कहां स्थित है। वास्तविकता यही है कि इंसान शारीरिक इंद्रियों के अतिरिक्त अन्य स्रोतों से भी सटीक ज्ञान प्राप्त करते है। यह ज्ञान आमतौर पर तब प्राप्त होता है जब मस्तिष्क किसी असाधारण प्रेरणा के प्रभाव में कार्य करता हो।
कोई आपातकालीन स्थिति जो भावनाओं को जाग्रत करती है। दिल की धड़कन को सामान्य से तीव्र कर सकती है और छठी इंद्रिय को हरकत में ला सकती है। जो व्यक्ति कार चलाते समय दुर्घटना होने से बाल – बाल बचा हो। वह ये जानता है कि ऐसी परिस्थिति में छठी इंद्रिय बचाव करती है।
15. डर के छह भूत | six ghosts of fear
डर मानसिक अवस्था से अधिक कुछ नहीं है। किसी की मानसिक अवस्था को नियंत्रित किया जा सकता है और उसे दिशा भी दी जा सकती है। प्रकृति ने इंसान को एक ही चीज पर पूरा नियंत्रण दिया है और वो है विचार। यह तथ्य जब इस तथ्य के साथ जुड़ जाता है कि इंसान जो भी बनाता है वो विचार से शुरू होता है। तो हम उस सिद्धांत के बहुत करीब आ जाते हैं जिससे डर को जीता जा सकता है।
छह मूलभूत डर
- गरीबी का डर
- आलोचना का डर
- बुरे स्वास्थ्य का डर
- प्रेम के विछोह का डर
- बुढ़ापे का डर
- मौत का डर
बाकी सभी डर कम महत्त्वपूर्ण हैं उन्हें इन छह शीर्षकों में शामिल किया जा सकता है।
“लोग अपनी कमजोरियों को छुपाने के लिए बहाने बनाकर खुद को जान – बूझकर धोखा देने में इतना समय क्यों बर्बाद करते हैं। अगर इसका कोई भिन्न उपयोग किया जाए तो यही समय उस कमजोरी को सुधारने के लिए पर्याप्त होगा। और तब बहाने बनाने की कोई जरूरत नहीं होगी।”
– अल्बर्ट हबार्ड
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“थिंक एंड ग्रो रिच के द्वारा साधारण सेल्समैन सुपर सेल्समैन बनने के लिए प्रेरित होते हैं।”
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“दौलत, स्वास्थ्य और सुख अब आपकी मुट्ठी में है …और भी बहुत कुछ। आप think and grow rich by Napoleon hill में दिए गए तेरह कदमों का उपयोग करके अपनी दुनिया को बेहतर बना सकते हैं।”
-डबल्यू क्लीमेंट स्टोन
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