Body language | शारीरिक हाव – भाव | बॉडी लैंग्वेज।
Body language | शारीरिक हाव – भाव | बॉडी लैंग्वेज।
हर व्यक्ति की अपनी अलग body language यानी शारीरिक हाव – भाव होता है। चाहे इंसान कितना भी मीठा क्यों न बोले, उसका व्यवहार कितना भी अच्छा क्यों न हो, यदि उसकी बॉडी लैंग्वेज में खोट है तो सामने वाले पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में आवश्यक है कि हम जो सोच रहे हैं, जो बोल रहे हैं उसका हमारी देह भाषा (Body language | शारीरिक हाव – भाव | बॉडी लैंग्वेज।) के साथ सामंजस्य हो।
Body language का आपके कामकाज और सफलता पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। आपके अंदर चाहे जितना भी टैलेंट भरा हो, लेकिन यदि आपकी शारीरिक भाषा में दोष है तो यह आपकी सफलता की राह में बड़ा ही अवरोधक बन सकता है।
What is body language | बॉडी लैंग्वेज क्या है?
बॉडी लैंग्वेज आपके शरीर की वह भाषा है जिसकी सहायता से आप बिना शब्दों ( non verbal) के ही लोगों से संवाद (communication) कर पाते हैं। Body language से आपका व्यवहार (behaviour), चरित्र (character), आपके व्यक्तित्व (personality) और आपके मन के विचारों (inner thoughts) को भी पढ़ा जा सकता है। आपके उठने – बैठने, चलने और इशारा करने से पता चलता है कि आप confident हैं, under confident या फिर ओवर कॉन्फिडेंट हैं।
Learn about body language | शारीरिक भाषा के बारे में जानें।
ज्यादातर शोधकर्ता मानते हैं कि शाब्दिक माध्यम का प्रयोग खास तौर पर सूचना संप्रेषित करने के लिए किया जाता है जबकि अशाब्दिक माध्यम का प्रयोग व्यक्तिगत भावनाओं को संप्रेषित करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, जब कोई महिला किसी पुरुष पर ‘कातिलाना नजर’ डालती है तो वह बिना मुंह खोले उस तक एक बहुत स्पष्ट संदेश पहुंचा देती है।
अल्बर्ट मेहरेबियन ने अपने अध्ययन में यह पाया कि किसी संदेश का असर केवल 7 प्रतिशत शाब्दिक होता है। जबकि वाणी का असर 38 प्रतिशत होता है (जिसमें आवाज कि टोन, उतार – चढ़ाव एवम् अन्य ध्वनियां सम्मलित हैं) तथा 55 प्रतिशत प्रभाव अशाब्दिक होता है।
प्रोफेसर बर्डव्हिसल के अनुसार एक आम व्यक्ति एक दिन में शब्दों के माध्यम से कुल मिलाकर दस से ग्यारह मिनट तक ही बोलता है। और एक औसत वाक्य बोलने में उसे लगभग ढाई सेकंड का समय लगता है। आमने – सामने की बातचीत में शाब्दिक पहलू 35 प्रतिशत से भी कम होता है और संप्रेषण का अशाब्दिक हिस्सा 65 प्रतिशत से भी अधिक होता है।
यानी प्राचीन काल से ही आपके शारीरिक हाव – भाव या body language को पढ़कर अधिकांश communication किया जाता रहा है।
Perception ability, intuition and exact guess | अनुभूति क्षमता, अंतर्बोध और सटीक अनुमान।
जब भी हम किसी को अनुभूति क्षम या अंतः बोधपुर्ण कहते हैं तो हमारा यह मतलब होता है कि उस व्यक्ति में दूसरे व्यक्ति के अशाब्दिक संकेतों को पढ़ने की खास काबलियत है। दूसरे शब्दों में, जब हम कहते हैं कि हमें अंदर से ऐसा लगता है कि किसी व्यक्ति ने हमसे झूठ बोला है। तो दरअसल हमारा यह मतलब होता है कि उनकी बॉडी लैंग्वेज और उनके शब्दों में तालमेल नहीं था। इसी को वक्ताओं ने श्रोताओं की जागरूकता कहा है।
महिलाएं पुरुषों से ज्यादा अनुभूति क्षम होती हैं और महिलाओं में अंतर्बोध की क्षमता अधिक होती है। उनमें यह जन्मजात योग्यता होती है कि वे अशाब्दिक संकेतों को पकड़ लें और उनका मतलब समझ लें। इसके अलावा उनकी नजर भी इतनी पैनी होती है कि उन्हें बारीकियां बहुत जल्द ही दिख जाती हैं। इसलिए ऐसे बहुत कम पति होंगे जो अपनी पत्नियों से सफलतापूर्वक झूठ बोल पाते होंगे।
यह नारी अंतर्बोध खास तौर पर उन महिलाओं में नजर आता है जिन्होंने बच्चों को पाला है। शुरू के कुछ सालों बच्चों के साथ संवाद स्थापित करने के लिए अशाब्दिक माध्यम पर ही पूरी तरह से निर्भर रहना पड़ता है। और इसीलिए ऐसा माना जाता है कि इसी वजह से महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक अनुभूति क्षम होती हैं। क्योंकि उनके अंदर body language पढ़ने की खास काबलीयत होती है।
Inborn, genetic, learned cultural signs | जन्मजात, आनुवंशिक, सीखे हुए सांस्कृतिक संकेत।
संसार की विभिन्न संस्कृतियों के सांकेतिक व्यवहार का अवलोकन किया गया है। साथ ही साथ वानरों और वनमानुषों के व्यवहार का भी अध्ययन किया गया है, जो हमारे सबसे करीबी मानव विज्ञान संबंधी हैं।
इस शोध के निष्कर्षों से यह संकेत मिलते हैं कि कुछ मुद्राएं (postures) हर वर्ग में आती हैं। उदाहरण के तौर पर, ज्यादातर प्राइमेट शिशुओं में चूसने की तत्कालिक क्षमता जन्मजात होती है। इससे यह संकेत मिलते हैं कि यह या तो जन्मजात है या फिर आनुवंशिक।
एकमेन, फ्रेसन और सोरेनसन ने जन्मजात मुद्राओं के बारे में डार्विन के कुछ मौलिक विश्वासों का समर्थन किया जब उन्होंने 5 अलग – अलग संस्कृतियों के लोगों के चेहरे की भवाभिव्यक्ति का अध्ययन किया।
अभी तक इस बात पर विवाद चल रहा है कि क्या कुछ मुद्राएं सांस्कृतिक रूप से सीखी जाकर आदत बन सकती है या वे आनुवंशिक ही होती हैं। उदाहरण के तौर पर, ज्यादातर पुरुष कोट पहनते समय पहले अपना दांया हाथ अंदर डालते हैं जबकि ज्यादातर महिलाएं कोट पहनते समय पहले अपना बायां हाथ अंदर डालती हैं।
जब किसी भीड़ भरी सड़क पर कोई व्यक्ति किसी महिला के पास से गुजरता है। तो वह सामान्यतः अपने शरीर को उसकी तरफ मोड़ता है। जबकि एक महिला आम तौर पर अपने शरीर को पुरुष के शरीर से दूर हटाती है। क्या यह एक जन्मजात नारी प्रतिक्रिया है या उसने दूसरी महिलाओं को अचेतन रूप से ऐसा करते हुए देखकर यह सीखा है।
हम अपना ज्यादातर मूलभूत अशाब्दिक व्यवहार सीखते हैं और कई हाव – भाव और मुद्राओंं के अर्थ उन संस्कृतियों पर निर्भर करते हैं जिनमें हम रहते हैं। हमारी body language ही हमारी संस्कृति का आधार है।
Some basics and their origins | कुछ मूलभूत बातें और उनकी उत्पत्ति।
अधिकतर मूलभूत संप्रेषण मुद्राएं दुनिया भर में एक जैसी ही होती हैं। जब लोग खुश होते हैं तो वे मुस्कराते हैं। जब वे दुःखी या गुस्सा होते हैं तो उनकी भ्रकुटियां चढ़ जाती हैं या नाक फूल जाती है। सिर को ऊपर से नीचे की हिलाने का मतलब लगभग हर जगह पर “हां” या सकारात्मक होता है।
इसी तरह हर संस्कृति में सिर को एक तरफ से दूसरी ओर हिलाने का मतलब “नहीं” या नकारात्मक होता है। हो सकता है कि यह मुद्रा बचपन में सीखी जाती हो। जब कोई बच्चा पर्याप्त दूध पी लेता है तो वह अपनी मां का स्तन हटाने के लिए अपने सिर को इधर – उधर हिलाता है।
इसी प्रकार जब किसी छोटे बच्चे ने पर्याप्त खाना खा लिया हो तो वह अपने सिर को इधर से उधर घुमाता है जिससे कि अभिभावक उसे चम्मच से खाना न खिला पाएं। इस प्रकार वह जल्द ही यह सीख जाता है कि सिर हिलाने की मुद्रा असहमति या नकारात्मक दृष्टिकोण दर्शाने के लिए इस्तेमाल की जाती है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि आपके शारीरिक हाव – भाव या बॉडी लैंग्वेज द्वारा जीवन के अधिकतर रोजमर्रा के कामों को पूर्ण किया जाता है।
Co – ordination | तालमेल।
शोध से पता चलता है कि अशाब्दिक संकेत, शब्दों की तुलना में पांच गुना ज्यादा असरदार होते हैं। और जब दोनों में तालमेल नहीं होता तो लोग अशाब्दिक संदेश पर ही भरोसा करते हैं और शाब्दिक पहलू को अनदेखा कर दिया जाता है। मुद्रा समूहों का अवलोकन और शाब्दिक तथा अशाब्दिक माध्यमों का तालमेल body language के सटीक विश्लेषण की कुंजियां हैं।
Status and power | प्रतिष्ठा और शक्ति।
भाषाविज्ञान में हुए शोध से पता चलता है कि किसी आदमी के प्रतिष्ठा और शक्ति की मात्रा उस आदमी के शब्दभंडार के बीच में सीधा संबंध होता है। किसी व्यक्ति का स्टेटस, शक्ति या प्रतिष्ठा सीधे तौर पर उसके द्वारा इस्तेमाल की गई मुद्राओं या देह गतिविधियों (body language) की संख्या से जुड़ी हुई है।
सामाजिक या मैनेजमेंट के पैमाने पर सबसे चोटी का व्यक्ति अपने अर्थ को संप्रेषित करने के लिए अपने शब्द भंडार का प्रयोग करता है। वहीं दूसरी ओर कम शिक्षित या अशिक्षित व्यक्ति स्प्रेषण के लिए शब्दों की अपेक्षा मुद्राओं का ज्यादा इस्तेमाल करता है।
How to lie with success | सफलता से झूठ कैसे बोलें।
झूठ बोलने के दौरान अवचेतन मस्तिष्क नर्वस एनर्जी भेजता है जो एक मुद्रा के रूप में प्रकट होती है। और यह मुद्रा उस व्यक्ति के कथन का विरोध करती है। झूठ बोलने के साथ दिक्कत यह है कि अवचेतन मस्तिष्क हमारे शाब्दिक झूठ के प्रति स्वतः और स्वतंत्र रूप से प्रतिक्रिया करता है। इसलिए हमारी body language हमें फंसा देती है।
कुछ लोग जिनके काम में झूठ बोलना शामिल होता है जैसे राजनेता, वकील, अभिनेता और टेलीविजन उद्घोषक अपनी देह भाषा को उस बिंदु तक परिष्कृत कर लेते हैं जहां झूठ को देखना मुश्किल हो जाता है। और लोग उनकी बातों को सच मान लेते हैं।
धीमी गति के कैमरे के इस्तेमाल से हुए शोध बताते हैं कि यह सूक्ष्म मुद्राएं एक सेकंड से भी कम समय में घट सकती हैं। केवल व्यावसायिक साक्षात्कार कर्ता, विक्रयकर्ता और अनुभूतिक्षम लोग ही किसी चर्चा या भेंट के समय इन मुद्राओं को सचेतन रूप से देख सकते हैं।
Positive body language | सकारात्मक शारीरिक भाषा।
किसी से बात करते समय दूरी का विशेष ध्यान रखें क्योंकि इससे आप दोनों के बीच संबंधों का पता चलता है। नजदीकि जितनी अधिक होगी उतना ही बेहतर संबंध होगा। Confident दिखना एक पॉजिटिव बॉडी लैंग्वेज की निशानी है। किसी से आपको अपनी बात मनवाने के लिए उसके सामने कॉन्फिडेंट रहें। आपकी ये कोशिश सामने वाले पर अच्छा प्रभाव डालती है।
अक्सर देखा गया है कि जो लोग हर परिस्थिति में मुस्कुराते रहते हैं, लोग उनकी तारीफ करते हैं। और अन्य लोगों की तुलना में खुशमिजाज लोगों से बात करना पसंद करते हैं। बातचीत के दौरान सबसे महत्वपूर्ण ये है कि आप खुद को सहज महसूस करें। सामने वाले को ऐसा feel कराएं जैसे कि आप उसकी बातों में बहुत रुचि ले रहे हैं। इससे सामने वाले के ऊपर आपकी पॉजिटिव इमेज बनती है।
आपकी शारीरिक गतिविधियां आपकी सोच के बारे में बहुत कुछ बयां करती हैं। जब भी आप किसी से मिलते हैं तो अपना बॉडी पोस्चर ओपन रखें। इससे आपका impact अच्छा पड़ेगा और सामने वाला आपकी बात को सीरियसली भी लेगा। आपका positive body language आपकी मनचाही सफलता की एक सीढ़ी साबित हो सकती है।
Open palm and honesty | खुली हथेली और ईमानदारी।
मानव जाति के पूरे इतिहास में खुली हथेली का संबंध सत्य, ईमानदारी, वफादारी और अधीनता से रहा है। हथेली को दिल पर रखकर कसमें खाई जाती हैं। कोई व्यक्ति सच बोल रहा है कि नहीं, यह जानने का एक बहुमूल्य तरीका उसकी हथेली को देखना है।
अधिकांश बॉडी लैंग्वेज की तरह यह एक पूर्णतः अवचेतन मुद्रा है, एक ऐसी मुद्रा जो आपको यह संकेत देती है कि सामने वाला सच बोल रहा है। जब कोई बच्चा झूठ बोलता है तो उसकी हथेलियां उसकी कमर के पीछे छुपी होती हैं।
सेल्स लाइन के लोगों को यह सिखाया जाता है कि जब ग्राहक सामान न खरीदने का कारण बताए तो वे उसकी खुली हथेलियों को देखते रहें। क्योंकि वही वैध या सही होंगे जो खुली हथेलियों के साथ बताए जाएंगे।
Hands on face | चेहरे पर हाथ की मुद्राएं।
जब कोई चेहरे पर हाथ रखने की मुद्राओं का प्रयोग करता है तो इसका मतलब हमेशा यह नहीं होता कि वह झूठ बोल रहा है। इससे यह संकेत जरुर मिलता है कि वह आपको धोखा दे सकता है और दूसरे मुद्रा समूहों के अवलोकन से स्थिति स्पष्ट हो जाती है। यह महत्वपूर्ण है कि आप चेहरे को हाथ लगाने वाली मुद्राओं के भरोसे ही निष्कर्ष न निकालें।
Vocal posture | मुखरक्षक मुद्रा।
मुखरक्षक मुद्रा वयस्कों में भी उतनी ही स्पष्टता से दिख जाती है जितनी स्पष्टता से यह बच्चों में देखी जा सकती है। जब मस्तिष्क अवचेतन रूप से धोखे के शब्दों को छुपाने की कोशिश में शरीर को आदेश देता है तो हाथ मुंह को ढक लेते हैं। और अंगूठा आपके गाल पर दबाव डालता है। कई बार इस मुद्रा में मुंह पर कई उंगलियां या बंद मुट्ठी भी देखी जाती है, परन्तु इसका मतलब वही रहता है।
यदि कोई व्यक्ति बोलते समय इस मुद्रा का प्रयोग करता है तो इसका मतलब है कि वह झूठ बोल रहा है। परन्तु आपके बोलते समय वह ऐसा कर रहा है तो इसका मतलब है कि उसके हिसाब से आप झूठ बोल रहे हैं। किसी सार्वजनिक वक्ता के लिए यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण दृश्य होता है जब उसके श्रोता उसके बोलते समय इस मुद्रा का प्रयोग करते नजर आते हैं। ऐसे में आपको अपना body language में सुधार की जरूरत है।
Collar pulling | कॉलर खींचना।
डेजमंड मॉरिस के अनुसार झूठ बोलने वालों की मुद्राओं के हुए शोध ने यह स्पष्ट किया कि झूठ बोलने से चेहरे और गले के नाजुक ऊतकों में सुरसुरी की अनुभूति होती है। इसे संतुष्ट करने के लिए मलने य खुजलाने की आवश्यकता होती है। जब आप किसी को इस मुद्रा का प्रयोग करते देखें तो इस तरह के सवाल करें – ‘क्या आप इसे दोहराने का कष्ट करेंगे?’ या ‘क्या आप इस बिंदु को स्पष्ट करेंगे?’
How to improve your body language | अपनी बॉडी लैंग्वेज कैसे सुधारें?
बॉडी लैंग्वेज को सुधारने के लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखें। कौन सी बातों का ध्यान रखना जरूरी है आपकी देह भाषा (Body language | शारीरिक हाव – भाव | बॉडी लैंग्वेज।) के लिए –
Be polite | विनम्रता के साथ मिलना।
सबसे पहले आपको मिलने वाले के साथ विनम्रता से हाथ मिलाना है और बड़ी ही शालीनता से उनका कुशल – मंगल का हाल पूछना है। और फिर आगे की बात को बढ़ाएं। जब भी आप किसी से मिलते हैं तो अपने चेहरे पर विनम्र भाव अवश्य रखें। इससे आप अपनी बात को एक अच्छी शुरुआत दे सकते हैं तथा यह अच्छी body language को भी दर्शाता है।
Maintain proper distance | उचित दूरी बनाए रखें।
जब भी आप किसी व्यक्ति से मिलते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि बात करते समय उचित दूरी बनाए रखें। अगर आप सामने वाले के ज्यादा करीब आयेंगे तो वह असहज महसूस कर सकता है या हो सकता है कि वह खुल कर बात न कर पाए। आपके इस रवैये (body language) से वह चिढ़ भी सकता है या फिर वह बात ही न कर पाए।
Eye contact | आंख मिलाकर बात करें।
किसी से बात करते समय आपको अपनी नजर नहीं चुरानी चाहिए नहीं तो सामने वाले को लगेगा कि आप उसकी बातों में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। सामने वाले को देखते समय अपनी नजर को ऐसे रखें जिससे पता चले कि आप उसकी बातों को पसंद कर रहे हैं। सामने वाले को घूरें नहीं। आत्म विश्वास के साथ आंख मिलाकर सामने वाले से बात करें। ये एक अच्छे बॉडी लैंग्वेज की पहचान है।
Smiling face | मुस्कुराता चेहरा।
मुस्कुराता हुआ और खिलखिलाता हुआ चेहरा किसे पसंद नहीं है। जब भी आप किसी से मिलने जाते हैं तो अपने चेहरे पर एक मुस्कान रखें। आपके चेहरे पर किसी भी प्रकार की stress नहीं दिखनी चाहिए। जब भी कोई व्यक्ति आपका खुशमिजाज चेहरा देखता है तो वह आपसे बात करना चाहेगा। आपकी बॉडी लैंग्वेज उसे आपके साथ सहज बना देगी।
Be positive | सकारात्मक रहें।
अगर आप किसी से मिलने जाते हैं तो अपना व्यवहार सकारात्मक रखें। यदि आप अपने शारीरिक हाव- भाव में नकारात्मकता दिखाएंगे तो आप किसी को भी प्रभावित नहीं कर सकते। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि किसी से मिलते या बात करते समय सकारात्मक नजरिया बनायें। आपकी positive body language आपको सफलता की चोटी पर ले जा सकती है।
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