You are the king of mind and body | मन और शरीर के स्वामी आप हो।

You are the king of mind and body | मन और शरीर के स्वामी आप हो।

क्या आप भी ये सोचते हैं कि ना जाने इतनी मुश्किलें मेरी ही जिंदगी में क्यों आ रही हैं। दूसरों को खुश देखकर कि फलां – फलां आदमी तो बहुत खुश है। मैं ही इतना परेशान क्यों रहता हूं तो इसकी जड़ भी आप ही हैं। जिंदगी में दुःख और सुख ऐसे ही नहीं चले आते। इनकी वजह आप ही होते हैं। आप इस लेख (You are the king of mind and body | मन और शरीर के स्वामी आप हो।) में पढ़ेंगे। कि कैसे इंसान अपनी जिंदगी में दुःख और खुशियों को न्योता देता है।

The image is designe that human is a king of mind and body | मन और शरीर के स्वामी आप हो।

1. Power of thoughts | विचारों की ताकत।

ईश्वर ने इस सृष्टि में सबसे विचित्र जीव को बनाया है और वो मनुष्य है। सबसे अधिक विवेक और सोचने की शक्ति भी मानव जाति के पास है। फिर भी हम पूरी जिंदगी ये सोचने में निकाल देते हैं कि इसे कैसे जिएं? और बहुत से लोगों को तो ये भी नहीं पता होता है एक मीनिंगफुल लाइफ कैसी होती है?

दुःख सुख तो इंसान के अपने हाथ में होते हैं। दरअसल ये हमारे दिमाग की ही उपज है। जैसा हम सोचते हैं और बहुत बार सोचते रहते हैं वैसा ही हमें भौतिक जीवन में प्राप्त होता है। क्या कभी आपने ये सोचा है कि कैसे आपकी नकारात्मक सोच आपके पूरे जीवन को बर्बाद कर देती है। ये ठीक उसी प्रकार होता है जैसे दीमक एक अच्छी लकड़ी को भी खोखला कर देती है।

इसलिए अपने मन को अच्छी खुराक दें। इंसान वह करता है जो उसके मन में विचार आते हैं और ये विचार ही आपकी जिंदगी का निर्माण करते हैं। अब ये आप पर निर्भर करता है कि आप कैसे विचारों (Thoughts) को जन्म देते हैं। जैसे लोगों के बीच में आप रहते हैं यकीन मानिए आप उनके जैसे ही बन जाते हैं।

  • Control your thoughts | अपने विचारों पर नियंत्रण रखें।

तो ये बहुत ही महत्त्वपूर्ण बात है कि आप उन लोगों के साथ रहें या उस समाज में रहें जैसे आप बनना चाहते हैं। अपने मन या विचारों पर नियंत्रण करना जिंदगी का सबसे महान कार्य है। और यदि आप ये करना सीख गए तो आपके जीवन की सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी।

अधिकतर लोग ये सोचते हैं कि उनके जीवन में ही दुनिया की सारी परेशानियां आ रही हैं। यदि आप ऐसा सोचते हैं कि आपके दोस्त, परिवार और जॉब ही आपकी परेशानियों की जड़ हैं। तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। सुख और दुःख हमारी अंदरूनी सोच का नतीजा है। यदि आप ये सोच लें कि आपको नहीं रोना या परेशान नहीं होना। तो यकीन मानिए आपको कोई भी नहीं रुला सकता। इसके लिए आपको अपना माइंडसेट चेंज करना होगा। अपने एटीट्यूड (attitude) में भी आपको बदलाव करना पड़ेगा। और ये सब आपके विचारों से प्रभावित होगा।

अपनी सोच पर नियंत्रण रखो और अच्छा सोचो। आपको सोच का गुलाम नहीं बनना है। जैसे कभी आपको बहुत ज्यादा तनाव होता है। और आप ये सोचने लगते हैं कि ये दुनिया रहने लायक नहीं है। लेकिन आप उन पलों को भूल जाते हैं जब आप बहुत खुश थे। इसलिए जब कभी आप बहुत ज्यादा तनाव में होते हैं तो कुछ पल के लिए रुकें और लंबी सांस लेने की कोशिश करें।

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2. Mind and outer world | मन और बाहरी दुनिया।

बाहरी दुनिया की ही तरह हमारी एक अंदरूनी दुनिया होती है जिसमें मन भ्रमण करता है। ये ठीक उसी तरह होता जिस तरह आप इस बाहरी दुनिया में कर रहे होते हैं। जिस तरह आपका मन आंतरिक संसार में खुद का प्रतिनिधित्व करता है ठीक उसी प्रकार आप इस संसार में अपना प्रतिनिधित्व करते हैं।

आओ हम इसको समझने की कोशिश करते हैं। जब आप किसी मंदिर में जाते हैं या उसके सामने से निकलते हैं तो आपके मन में क्या विचार आते हैं? कम से कम उस पल के लिए आपका मन धार्मिक हो जाता है। और उस क्षण के लिए सारे नकारात्मक विचार आपके अंदर से भाग जाते हैं।

  • उदाहरण 1:-

यह उदाहरण किसी म्यूजिक पार्टी का है। जैसे ही इस म्यूजिक की धुन आपके कान में गूंजती है आप थिरकने लगते हैं। खुद को तो आप कंट्रोल कर लेते हैं लेकिन आपका मन अभी भी उस म्यूजिक का आनंद ले रहा होता है। अब मानलो आप किसी पब में जाते हैं जहां डांस बालाएं और मादक पदार्थ को देखकर मन जरूर  विचलित हो जायेगा। और फिर आपकी बॉडी भी आपके मन के इशारों पर नाचती है।

  • उदाहरण 2:-

यहां एक और उदाहरण है जो आपको मन और शरीर की निर्भरता को समझाएगा। आपके सामने से एक आक्रामक कुत्ता या सांड दौड़ता हुआ आता है तो उस वक्त आप क्या करेंगे? ऐसी स्थिति में आपका तुरंत ये निर्णय ले लेते हैं कि इससे बचना जरूरी है। और आप डिफेंसिव हो जाते हैं। इसका मतलब ये हुआ कि आपका शरीर आपके मन के इशारों पर चलता है और आपका मन आपके इशारों पर।

3. Mind, body and habits | मन, शरीर और आदतें।

आदमी हर एक काम को अपने मन के मुताबिक करना चाहता है जिसका असर हमारे शरीर और आदतों पर पड़ता है। जैसे मां एक बच्चे को बचपन से ही बहुत सारी अच्छी आदतें सिखा देती है। वह बच्चे को सुबह ब्रश करना, गुड मॉर्निंग या गुड नाईट आदि सिखाती है। और दिन ब दिन वह बच्चा उन्हीं कामों को दोहराता है जो उसकी मां ने उसे सिखाए हैं।

जब हमारा मन किसी चीज को पसंद करने करने लगता है तो उसके प्रति हमारी रुचि और बढ़ जाती है। और जो चीज हमें अच्छी लगने लगती है उसे हम बार – बार करने लगते हैं। इस प्रकार से ये कार्य हमारे शरीर को प्रभावित करने लगते हैं। यदि ये कार्य अच्छे हैं तो इसके सकारात्मक परिणाम मिलेंगे नहीं तो और गलत हैं तो नकारात्मक। इसलिए अच्छी – अच्छी चीजों के बारे में सोचें और अच्छे कार्य करें।

किसी कार्य को बिना बताए जब हम बार – बार करते हैं तो इसे आदत कहते हैं। अब ये तो आप पर निर्भर करता है कि आप अच्छी आदतें बनाना चाहते हैं या फिर बुरी। वैसे दोनों के अपने अपने फायदे हैं। अच्छी आदतें आपके जीवन में समृद्धि लाती हैं वहीं गलत आदतें आपका जीवन बर्बाद कर सकती हैं। आदतों की एक और खासियत है कि इन्हें आसानी से छोड़ा या बदला नहीं जा सकता।

इसे भी पढ़ें :- सकारात्मक सोच | positive thinking.

  • खुद पर भरोसा करें :-

खुद को बदलने से मत डरो। बदलाव से डरना यानि कुछ नया सीखने से डरना। जब आप ये एक्सेप्ट कर लेते हैं कि जो है सो ठीक है या फिर हम इसे नहीं बदल सकते। तो समझो आप ये मान लेते हैं कि बुराई में ज्यादा ताकत है अच्छाई की अपेक्षा। पर सच तो यह है कि अंधकार के बाद रोशनी जरूर होती है। क्या कभी सूरज ने ऐसा सोचा है कि बहुत अंधकार है। वह हर रोज निकलता है क्योंकि उसको खुद पर विश्वास है, भरोसा है।

स्वयं पर विश्वास करके आपको प्रतिदिन खुद पर मेहनत करनी होगी। एक मायूस और दुखभरी जिंदगी से उबरने के लिए बुरी आदतों को नई आदतों से बदलना होगा। आपके अंदर बहुत पोटेंशियल है इसलिए खुद को लिमिट्स में मत बांधो। डेली “I can not” कहना बंद करके “I can” कहना शुरू करो। आप देखेंगे कि कैसे इस जादुई शब्द ने आपकी जिंदगी को खुशियों से भर दिया है।

नमस्कार दोस्तो, आशा करता हूं कि आपको इस लेख (You are the king of mind and body | मन और शरीर के स्वामी आप हो।) में ये समझ आ गया होगा कि हम स्वयं ही अपने जीवन के ड्राइवर हैं। आप जैसा सोचोगे जिंदगी वैसा ही आपके सामने परोसती जायेगी। इसलिए अच्छा सोचें और इस जिंदगी को खुशहाल बनाएं।

—🙏🙏 धन्यवाद 🙏🙏—

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